scriptBarmer Politics: अमीन-मेवाराम आना चाहते हैं कांग्रेस में… आने नहीं दे रहे, रविन्द्र सिंह- स्वरूप सिंह की आंखों की किरकिरी बरकरार | Barmer Politics: Amin-Mewaram want to join Congress… they are not letting them join, Ravindra Singh and Swaroop Singh are still a thorn in their eyes | Patrika News
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Barmer Politics: अमीन-मेवाराम आना चाहते हैं कांग्रेस में… आने नहीं दे रहे, रविन्द्र सिंह- स्वरूप सिंह की आंखों की किरकिरी बरकरार

बाड़मेर की राजनीति में उथल-पुथल का दौर खत्म नहीं हो रहा है। निर्दलीय विधायकों और भाजपा के बड़े नेताओं की पटरी नहीं बैठ रही है। दूसरी ओर कांग्रेस में भी अब नए दौर की राजनीति शुरू हो गई है।

बाड़मेरJan 21, 2025 / 06:37 pm

Santosh Trivedi

ravindra singh bhati
Barmer Politics: बाड़मेर की राजनीति में उथल-पुथल का दौर खत्म नहीं हो रहा है। विधानसभा चुनावों से लेकर अब तक अस्थिर राजनीति का एक लंबा दौर चल पड़ा है। निर्दलीय विधायकों और भाजपा के बड़े नेताओं की पटरी नहीं बैठ रही है। दूसरी ओर कांग्रेस में भी अब नए दौर की राजनीति शुरू हो गई है।

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रविन्द्र सिंह/स्वरूपसिंह राठौड़ खारा

शिव विधायक रविन्द्र सिंह और भाजपा नेता स्वरूप सिंह राठौड़ खारा के बीच में चुनाव के समय से चल रही दरार और आपसी खींचतान अब तक जारी है। समर्थक भी दोनों ओर बंटे हुए हैं। स्वरूप सिंह ने शिव से भाजपा से चुनाव लड़ा और रविन्द्र सिंह निर्दलीय लड़े और जीत गए। भाजपा के सत्ता में आने के बाद रविन्द्र को पार्टी में नहीं लिया गया। भाटी अभी निर्दलीय विधायक के तौर पर किसी न किसी घटनाक्रम को लेकर चर्चा में है तो इधर स्वरूप सिंह का दावा बार-बार रहता है कि शिव में कार्य करवाने के पावर सेंटर वही है।

प्रियंका चौधरी/ संगठन के नेता

प्रियंका चौधरी बाड़मेर से निर्दलीय विधायक है लेकिन सांसद चुनावों में वे भाजपा के साथ खड़ी रही। प्रियंका ने खुद को भाजपा से जोड़े हुए है, लेकिन कुछ लोग उनके जुड़ाव को लेकर परेशान है। बीते दिनों अस्पताल में हुए एक कार्यक्रम में प्रियंका ने सार्वजनिक तौर पर यह गुस्सा जाहिर भी किया था।

सेफ मोड में इनकी राजनीति

मानवेन्द्र सिंह– भाजपा में वापसी के बाद मानवेन्द्र सेफ राजनीति जोन में आ गए है। अभी उनके पास कोई बड़ा पद नहीं है। संगठन या अन्य राजनीतिक उठापटक में भी शामिल नहीं है। पारिवारिक व सामाजिक कार्यक्रमों में शरीक होकर सेफ राजनीति के मोड में चल रहे है।

अमीनखां/ फतेहखां

फतेहखां ने अमीनखां के जन्मदिन पर हाल ही में एक पोस्ट की। यह पोस्ट चर्चा में भी रही, लेकिन अमीन खां अभी तक भी फतेहखां पर आया गुस्सा उतार नहीं पाए हैं। बताया जाता है कि बीते दिनों उन्होंने एक सम्मेलन शिव में बुलाने का भी प्लान बनाया था, लेकिन फिर निरस्त करवा दिया गया। अमीनखां वापस कांग्रेस में आने को तैयार है, लेकिन कांग्रेस में उनके खिलाफ हुए लोग अमीन की वापसी में रोड़ा बने हुए हैं। फतेहखां भी अब कमोबेश यही चाहते है।

हरीश चौधरी/मेवाराम जैन

बाड़मेर के पूर्व विधायक मेवाराम जैन को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया। सीडी प्रकरण को लेकर चर्चा में रहे मेवाराम ने वापस कांग्रेस में शामिल होने के लिए प्रयास किए लेकिन उनकी एक-दो मुलाकात पर ही बायतु विधायक हरीश चौधरी ने सवाल खड़े कर दिए। हरीश के बयानों के बाद में यह मामला फिर एक बार ठण्डे बस्ते में चला गया। हालांकि मेवाराम पिछले दिनों सक्रिय होकर से अस्पताल या अन्य जगह पहुंचने लगे हैं।

हेमाराम चौधरी

विधायक चुनाव नहीं लड़ने के बाद राजनीति से संन्यास लेने के बाद भी हर राजनीति व सामाजिक कार्यक्रम में सक्रिय है। इन दिनों वे बेटी सुनिता चौधरी को कई कार्यक्रमों में जरूर साथ रखते हैं, जो सुनिता के राजनीतिक सक्रियता के संकेत दे रहे हैं।

कैलाश चौधरी

लोकसभा में हार के बाद कैलाश चौधरी ने एक बार घर पकड़ लिया था, लेकिन अब फिर से दिल्ली पहुंच गए है। संगठन की राजनीति और पांच साल में केन्द्रीय मंत्री के कार्यकाल में बने रिश्तों को जोड़ते हुए अब कैलाश दिल्ली-जयपुर की राजनीति में सक्रिय है।

ये भी सेफ मोड में

हमीरसिंह, अरूण चौधरी, आदूराम मेघवाल और के के विनोई भी सत्ता आने के बाद अब तक सेफ मोड की राजनीति में है। इसलिए विवाद इनके साथ नहीं जुड़े हैं।

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