बाड़मेर-जैसलमेर सीट का पॉलिटिकल पारा मापने पाली से निकला। जालोर के रास्ते सिवाणा पहुंचा। पहली मुलाकात पादरू के मुकेश प्रजापत और सिवाणा के नरेन्द्रसिंह भायल से हुई। बोले- यहां मुकाबला त्रिकोणीय है लेकिन अंत में जातीय समीकरण ही हार-जीत का फैसला करेंगे। कस्बे के बाहर ट्रेक्टर ट्रॉली पर दुकान चला रहे जुगताराम ने कहा- माहौल देख रहे हैं, फैसला तो मन से ही करेंगे। उन्होंने पानी की समस्या का जिक्र किया। बाड़मेर में जनरल स्टोर चला रहे गिरीश ने नपी-तुली बात दोहराई कि यहां कोई एक फैक्टर नहीं। शिव में भींयाराम व हरीश ने कहा-हम तो जात-पांत-पार्टी से ऊपर उठकर ऐसा प्रत्याशी चुनेंगे जो हमारी बात मजबूती से उठाए।
ऊर्जा का हब, तरस रहे किसान
मरुधरा की पीढ़ियों ने सदियों तक अभावों का दर्द झेला है। अब प्रकृति मेहरबान है लेकिन फिर भी रोजगार यहां के लोगों के लिए दूर की कौड़ी बना हुआ है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि रिफाइनरी हो या विंड-सोलर रोजगार उनको प्राथमिकता से मिलनी चाहिए। युवाओं का कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण संस्थान खोले जाएं। सोलर और विंड से बिजली का उत्पादन हो रहा है, लेकिन किसान बिजली के लिए तरस रहे। पानी का संकट भी रातों की नींद उड़ा देता है। रेलवे और सूखा बंदरगाह जैसे बड़े प्रोजेक्ट अधर में है।
पर्यटन उभरे तो बात बने
जैसलमेर में पर्यटन व्यवसायी विक्रमसिंह नाचना कहते हैं, जैसलमेर में पर्यटन मुख्य धुरी है। यहां हवाई कनेक्टिविटी नियमित होनी चाहिए। जैसलमेर के हिस्से का पानी दूसरी जगह जा रहा, यह ठीक नहीं। जैसलेमर से 40 किलोमीटर बाद ही सैलानियों की आवाजाही पर प्रतिबंध है। यह दूरी बढ़ानी चाहिए, ताकि सैलानी ज्यादा आएं। बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ावा देने की भी बात कही।
जो साधे वो सधे
71 हजार 601 वर्ग किलोमीटर में फैले लोकसभा क्षेत्र में 1200 किलोमीटर की यात्रा में मतदाताओं का मिजाज और मुद्दे अलग-अलग सामने आए। भाजपा को कोर वोटर को बचाए रखना चुनौती है। बेनीवाल के लिए कांग्रेस और जातीय समीकरणों का साथ अहम होगा। निर्दलीय रविन्द्र भाटी युवाओं और महिलाओं के अलावा अन्य को कितना साध पाएंगे, उसी पर भविष्य टिका। जाट-राजपूत जातीय समीकरणों के साथ ओबीसी की छोटी जातियां, अल्पसंख्यक और युवा-महिला मतदाता यहां निर्णायक भूमिका में होंगे।
छोकरों ने काम-धंधो चाईजै..
तनोट के निकट धोरों में बकरियां चराते मिले रणाऊ गांव के पदमसिंह सोलंकी बोले-छोकरों ने काम-धंधो चाईजै…वो नी मळै रियो। अर्थात युवाओं को रोजगार की जरूरत है, वह नहीं मिल रहा। उन्होंने पानी की समस्या की तरफ भी इशारा किया।