घर का बजट घटा, शैम्पू, क्रीम और पाउडर महीने के बजट से हो गए बाहर
-क्रय शक्ति घटी, दैनिक जरूरतें भी नहीं हो रही पूरी-घर के महीने के बजट में 60 फीसदी की कमी-अत्यंत जरूरी वस्तुओं के अलावा अन्य की खरीददारी बंद-कोविड के कारण लॉकडाउन में जमा रकम हुई खर्च
घर का बजट घटा, शैम्पू, क्रीम और पाउडर महीने के बजट से हो गए बाहर
बाड़मेर. कोरोना के कारण लॉकडाउन का असर लोगों की जेब पर भारी पड़ा है। घर का बजट कम हो गया है और जरूरत के अलावा अन्य वस्तुओं की खरीददारी बंद कर दी गई है। क्रय शक्ति कम हो गई है। इसके कारण बाजार में भी सुस्ती दिख रही है। दैनिक जरूरतों में बहुत ही अधिक आवश्यक वस्तुओं की खरीददारी हो रही है।
महामारी के दूसरे दौर ने लोगों को आर्थिक रूप से खोखला कर दिया है। छोटी-मोटी जो बचत की गई थी लॉकडाउन में काम-धंधे बंद होने के कारण खर्च हो गई। अब स्थिति यह है कि फिर से काम की नई सिरे से तलाश करनी पड़ रही है। जीवन को पटरी पर लाना काफी मुश्किलों भरा हो गया है।
हर कोई लॉकडाउन से हुआ प्रभावित
कोविड के कारण लगे लॉकडाउन से हर कोई प्रभावित हुआ। कुछ काम धंधे चलते हुए दिखे, लेकिन व्यापारियों का मानना है कि उनकी भी सिर्फ रोजी-रोटी और रोटेशन ही चल रहा था। क्योंकि बड़े ऑर्डर तो पिछले एक साल से अधिक समय से बंद ही है। वहीं नौकरीपेशा व छोटे-मोटे काम धंधा करने वाले सबसे अधिक प्रभावित हुए। अब उन्हें घर का बजट कम करना पड़ा है।
शैम्पू, क्रीम व पाउडर कर दिए बंद
अधिकांश लोगों ने अपने महीने के बजट में कमी के कारण शैम्पू, क्रीम और पाउडर सहित कॉस्मिेटिक वस्तुएं बाहर कर दी है। उनका कहना है कि इनके बिना भी काम चलाया जा सकता है। इसका सीधा असर व्यापारियों पर पड़ रहा है। उनकी बिक्री गिर गई है। व्यापारी बताते हैं कि शैम्पू, क्रीम की खरीददारी बहुत की कम हो रही है। इसके कारण उन्होंने भी ऑर्डर देने बंद जैसे ही कर दिए हैं।
खाने की वस्तुओं में इनकी डिमांड ज्यादा
महामारी के पहले दौर से ही खाने की वस्तुओं में इंस्टेंट बनने वाली और फास्ट फूड जैसे पास्ता आदि की डिमांड बढ़ी है। लोग महंगी वस्तुओं से दूरी बना रहे हैं और खाने-पीने की वस्तुओं में भी जो सस्ती और बजट के भीतर आ रही है, उनको ही खरीद रहे हैं। जानकार बताते हैं कि करीब 70-80 फीसदी ग्राहक इसी श्रेणी में है।
पाउडर व शैम्पू की बिक्री नहीं जैसी
क्रीम, पाउडर व शैम्पू सहित कॉस्मेटिक वस्तुओं की बिक्री नहीं के बराबर है। अधिकांश ग्राहक खाने-पीने की वस्तुएं ही खरीदते हैं। जबकि नियमित रूप से आने वाले ग्राहक पहले महीने के सामान में सब कुछ ले जाते थे। लेकिन अब उन्हें पूछते हैं तो जवाब मिलता है कि इनके बिना भी काम चल सकता है। बहुत ही कम लोग जो ले जाते हैं वे अब बड़ा पैक नहीं छोटा से ही काम चला रहे हैं। कोविड के कारण लोगों की क्रय शक्ति काफी कम हुई है।
विक्रमसिंह, व्यापारी रेलवे स्टेशन के सामने बाड़मेर
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