> Ratan dave:
करीब 23 साल पहले यह योजना बनी। मूूंदड़ा गुजरात से बाखासर बाड़मेर तक 150 किमी कृत्रिम नहर बनाकर सूखा बंदरगाह बनाने की योजना। राज्य का पहला बंदरगाह मिलने की सौगात तय हुई। वर्ष 2003 में तेल का खजाना और पॉवर प्रोजेक्ट मिलते ही जोड़ दिया गया कि अब बाड़मेर दुबई बनेगा और बंदरगाह बनते ही यहां के विकास को पंख लग जाएंगे। 22 साल तक लगातार मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पैरवी हुई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंंत्री वसुंधराराजे, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी सार्वजनिक मंच पर यह घोषणाएं की कि सूखा बंदरगाह से राजस्थान की तकदीर बदलेगी लेकिन अचानक बीते साल राज्यसभा में इसको अनार्थिक बताकर विराम लगा दिया गया। यहां तक कि केयर्न वेदांता कंपनी के चेयरपर्सन अनिल अग्रवाल ने इस योजना को राज्य के आर्थिक विकास का आधार बताते हुए इसमें सहयोग की भी बात की थी लेकिन इसको आगे ही नहीं बढ़ाया जा रहा है। दोनों केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत और कैलाश चौधरी इस बंदरगाह की ठोस पैैरवी नहीं कर पाए। बाड़मेर के दुबई बनने का इससे बड़ा आधार कुछ नहीं हो सकता था।