scriptनेत्रदान : राजस्थानियों ने थाम रखी है जागरूकता की मसाल | Eye donation: Rajasthanis have taken up the cause of awareness | Patrika News
बाड़मेर

नेत्रदान : राजस्थानियों ने थाम रखी है जागरूकता की मसाल

राजस्थानी नेत्रदान जागरूकता में पूरे देशभर में अलख जगा रहे है। नेत्रदान करने के संकल्प की मसाल को थाम रखा है।

बाड़मेरSep 08, 2024 / 09:26 pm

Mahendra Trivedi

नेत्रदान करने से किसी नेत्रहीन को रोशनी मिल सकती है। दुनियां में भला देखने से बढकऱ किसी मानव के लिए क्या हो सकता है। राजस्थानी नेत्रदान जागरूकता में पूरे देशभर में अलख जगा रहे है। नेत्रदान करने के संकल्प की मसाल को थाम रखा है। मृत्यु उपरांत नेत्रदान के लिए प्रेरित करने के लिए 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। राजस्थान पूरे देश में नेत्रदान करने की शपथ लेने में अभी टॉप पर है।

राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा जागरूक करने का बड़ा माध्यम

दृष्टिहीन लोगों को दुनिया देखने का अवसर एकमात्र नेत्रदान से ही संभव है। भारत में जागरूकता की कमी और भ्रम के कारण नेत्रदान करने से लोग दूर रहते है। वहीं ऐसे भी लोग है जो नेत्रदान करना तो चाहते हैं, लेकिन उन्हें जानकारी नहीं होती है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा आमजन को जागरूक करने, भ्रम मिटाने का एक बड़ा माध्यम और नेत्रदान के प्रति लोगों को प्रेरित करता है।

कौन कर सकता है और कौन नहीं

आंखों की किसी भी बीमारी से पीडि़त व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है। दूरदृष्टि दोष, मोतियाबिंद, ऑपरेशन के अलावा सामान्य आंखों की बीमारी से पीडि़त व्यक्ति भी रक्त समूह, उम्र, लिंग कुछ भी हो, अपनी आंखों को दान कर सकते हैं। वहीं सेप्टीसीमिया, क्रिटिकल ल्यूकेमिया, रेबीज, एड्स, हेपेटाइटिस बी व सी, हैजा, एन्सेफलाइटिस और मेनिन्जाइटिस संक्रामक रोगों से पीडि़त व्यक्ति आंखें दान नहीं कर सकते है।

क्यों और कब से मना रहे है पखवाड़ा

भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 1985 में राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा शुरू किया गया। इसके बाद भारत सरकार नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और बढ़ावा देने को लेकर पखवाड़े का आयोजन करते हुए जागरूकता अभियान चलाती है। इस अभियान का लक्ष्य आमजन को नेत्रदान के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। मिथक और भ्रम को दूर करने और मृत्यु के बाद आंखें दान के लिए प्रेरित करना है। जिससे कार्निया की कमी को दूर करते हुए दृष्टिहीन को रोशनी दी जा सके।

जानें नेत्रदान का महत्व

एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो नेत्रहीन को रोशनी मिलती है। दान किए गए कार्निया से कॉर्नियल ब्लाइंडनेस पीडि़त को दृष्टि मिलती है। मृत्यु के बाद छह घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। नेत्रदान में आंख नहीं निकाली जाती है। केवल कॉर्निया निकाले जाते है। नेत्र को मानव का एक अमूल्य अंग माना गया है, जो अंधेपन से पीडि़त व्यक्ति को आंखें दे सकता है।

एक साल में 27 हजार से ज्यादा संकल्प

नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (एनओटीटीओ) पर पिछले एक साल में राजस्थान के 27103 लोगों ने नेत्रदान (दोनों कॉर्निया) करने का ऑनलाइन संकल्प लिया है। जिसमें दोनों नेत्रदान करने की शपथ ली है। राजस्थान पूरे देश में ऑनलाइन शपथ लेने में सबसे आगे है। वहीं राज्य में जयपुर जिला 2054 लोगों की ओर से लिए संकल्प के साथ जागरूकता की अलख जगा रहा है। शपथ लेने वालों में 18 से 80 साल के लोग शामिल है।

जागरूकता बढ़ाने की जरूरत

नेत्रदान के लिए जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी है। मृत्यु के बाद किसी के भी नेत्रदान किए जा सकते है। नेत्रदान काफी कम हो रहा है। इसके लिए आमजन को जागरूक करने की आवश्यकता है। साथ ही लोगों के इस भ्रम को भी समाप्त करने की जरूरत है कि नेत्रदान में आंखें नहीं निकाली जाती है, केवल कॉर्निया लिया जाता है। संक्रामक बीमारी से ग्रसित के अलावा किसी भी व्यक्ति के मृत्यु के बाद नेत्रदान करवाया जा सकता है।
-डॉ. हरदान सारण, नेत्ररोग विशेषज्ञ, राजकीय जिला अस्पताल बाड़मेर

भारत : टॉप-5 राज्य

राजस्थान : 27103
महाराष्ट्र : 22419
कर्नाटक : 18522
मध्यप्रदेश 13668

तेलंगाना 11255

राजस्थान : टॉप-10 जिले

जयपुर : 2054
झुंझुंनू : 1720
डूंगरपुर : 1670
सीकर : 1666
कोटा : 1495
जोधपुर : 1408
उदयपुर : 1327
टोंक : 1304
हनुमानगढ़ : 1248
राजसमंद : 1243
(स्रोत..एनओटीटीओ…2 सितम्बर-2023 से 2 सितम्बर 2024 तक)

Hindi News / Barmer / नेत्रदान : राजस्थानियों ने थाम रखी है जागरूकता की मसाल

ट्रेंडिंग वीडियो