script75 साल पहले बाड़मेर के तनसिंह ने बनाया श्री क्षत्रिय युवक संघ | 75 years ago Tansingh of Barmer formed Shri Kshatriya Yuvak Sangh | Patrika News
बाड़मेर

75 साल पहले बाड़मेर के तनसिंह ने बनाया श्री क्षत्रिय युवक संघ

– श्री क्षत्रिय युवक संघ का हीरक जयंती समारोह जयपुर में आज- संघ की स्थापना बाड़मेर निवासी तनसिंह ने 22 दिसम्बर 1946 को की- जागी-जागी-जागी दिवले की जोत जागी रे…- पौधा बना वटवृक्ष…तनसिंह के सिद्धांतों पर आज भी खरा

बाड़मेरDec 22, 2021 / 11:36 am

Ratan Singh Dave

75 साल पहले बाड़मेर के तनसिंह ने बनाया श्री क्षत्रिय युवक संघ

75 साल पहले बाड़मेर के तनसिंह ने बनाया श्री क्षत्रिय युवक संघ

75 साल पहले बाड़मेर के तनसिंह ने बनाया श्री क्षत्रिय युवक संघ

सोशल प्राइड
– श्री क्षत्रिय युवक संघ का हीरक जयंती समारोह जयपुर में आज
– संघ की स्थापना बाड़मेर निवासी तनसिंह ने 22 दिसम्बर 1946 को की
– जागी-जागी-जागी दिवले की जोत जागी रे…
– पौधा बना वटवृक्ष…तनसिंह के सिद्धांतों पर आज भी खरा
बाड़मेर पत्रिका. श्री क्षत्रिय युवक संघ का दीपक जो आज देशभर में राजपूत समाज को आलौकित और प्रज्जवलित कर रहा है, इसकी ज्योत बाड़मेर जिले से जगी थी। संघ के जनक, प्रथम संघप्रमुख और पूवज़् सांसद तनसिंह रामदेरिया ने श्री क्षत्रिय युवक संघ की ज्योति जलाई थी जो 75 साल बाद देश ही नहीं विदेशों तक प्रकाशमान हो रही है। संघ की स्थापना बाड़मेर निवासी तनसिंह ने 22 दिसम्बर 1946 में की।
श्री क्षत्रिय युवक संघ राजपूत समाज का ऐसा संगठन है जिसकी एक आवाज पर समाज एकत्रित होता है और जिसके सिद्धांत, आदशज़्, अनुशासन की मिसाल दी जाती है। इस वटवृक्ष बने संघ का पौधा बाड़मेर के रेगिस्तान ने बोया। बाड़मेर से 1952 और 1957 में विधायक और 1962 एवं 1977 में सांसद रहे तनसिंह रामदेरिया ने इसकी स्थापना की। 25 जनवरी 1924 को ननिहाल बेरिसियाला (जैसलमेर) में जन्मे तनसिंह के पिता बलवंतसिंह रामदेरिया (बाड़मेर) निवासी थे। जब तनसिंह 4 साल के थे पिता का निधन हो गया। कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़कर खुद अपनी मंजिल तय की।
शिक्षा,लेखन
तनसिंह ने बाड़मेर से प्रारंभिक शिक्षा, झुंझुनू से कॉलेज और 1946 में नागपुर से वकालात की। पढ़ाई के साथ लेखन की रुचि जीवनभर रही, उन्होंने 14 हिन्दी पुस्तकों की रचना की और राजस्थानी में भी लिखा।
1946 को जगी दिवले की ज्योत
श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना संघ की स्थापना बाड़मेर निवासी तनसिंह ने 22 दिसम्बर 1946 में की।। जिसमें अनुशासन, समाज में संस्कार, सामाजिक चेतना, एकजुटता, शिक्षा और समाज उत्थान के विचारों को प्राथमिकता देते हुए इस पौधे को लगाया। जो 75 साल इन्हीं नियमों पर चलते हुए वटवृक्ष के रूप में पूरे भारत और भारत के बाहर रहने वालों को भी जोड़े हुए है।
ज्योत से ज्योत जलती रही
1979 में तनसिंह के निधन के बाद भी यह ज्योत उनके प्रण की तरह जलती रही। खुद प्रथम संघ प्रमुख रहने के बाद अपने साथियों को आगे बढ़ाते रहे थे, इस परंपरा के चलते आगे भी संघप्रमुख समाज सेवा की भावना से आगे आए, जिससे यह ज्योत जल रही है।
प्रमुख गतिविधियां
क्षत्रिय युवक संघ की शाखाएं संचालित है जो संस्कार निमाज़्ण का कायज़् करती है। शिविर आयोजित कर समाज के युवकों, युवतियों और सदस्यों को संस्कार, क्षात्र धमज़्, क्षत्रिय संस्कार सहित जीवनोपयोगी पाठ पढ़ाए जाते है।
संघ समाज में यों निभा रहा भागीदारी
– हर साल बड़ी संख्या में शिविरों का आयोजन
– परिवार आौर परंपराआों के निवज़्हन की सीख देना
– महिलाओं आौर बालिकाओं को आत्मनिभज़्र बनाने का प्रयास
– बालिकाओं में संस्कारों का बीजाराोपण
– सत्य, न्याय व कमज़् प्रधानता की सीख देना
– युवाओं को परिवार, समाज, कुटुंब, राष्ट्र,संसार और मानवता के लिए साथज़्क बनने की शिक्षा
– वीरता, दयालुता, सहिष्णुता, दानवीरता आौर सहनशीलता की शिक्षा

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