रतन दवे Sea in Barmer: थार के रेगिस्तान की कोख में तेल, गैस और कोयले के अथाह भण्डार तो निकले ही हैं, यहां पर एक समुद्र भी भीतर हिलोरे ले रहा है। बाड़मेर के बायतु के माडपुरा बरवाला से सांचौर तक फैले इस समुद्र का पानी करीब 48000 खरब लीटर है। 10 लाख की आबादी को यह पानी हजारों साल पेयजल उपलब्ध करवा सकता हैै। मुश्किल यह है कि यह पानी इतना खारा है कि इसको मीठा करने के लिए इजराइल की तरह आधुनिक तकनीक की जरूरत है। 2020 से केन्द्र सरकार के जलशक्ति मिशन के पास यह फाइल है, लेकिन खर्च ज्यादा बताकर अटकी हुई है।
बाड़मेर में कार्य कर रही तेल कंपनी भूकंपीय सर्वे पेट्रो भौतिक डेटा और विस्तृत हाइड्रो जियोजिकल जांच करती रही है। तेल की संभावनाओं को लेकर सिस्मिक सर्वे और भूगर्भ के भीतर तक की तमाम हलचलों के दौरान सामने आया कि बाड़मेर के माडपुरा बरवाला से लेकर सांचौर तक एक समुद्र है, जो हिलोरे ले रहा है। इस समुद्र में करीब 48000 खरब लीटर पानी है। बाड़मेर के बायतु, शिव, गुड़ामालानी से सांचौर तक यह भण्डार है। इस आश्चर्य की ताईद के बाद में इसकी रिपोर्ट केन्द्र सरकार के जलशक्ति मिशन को जनवरी 2020 में ही भेज दिया गया।
मुश्किल यह
सामान्यतया पानी में लवण की मात्रा एक लीटर में 1000 मिलीग्राम मान्य हैै, लेकिन इस पानी में लवण की मात्रा 5000 से 20000 मिलीग्राम तक है। जो बहुत ज्यादा है। अत्याधुुनिक तकनीक से इस लवण को कम किया जाए तो यह पानी पीने योग्य काम आ सकता है।
इजराइल तकनीक अपनाएं
केन्द्र सरकार को भेजी रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया था कि खाड़ी देश और इजराइल में भी इतना खारा पानी है। वहां तो 35000 मिलीग्राम तक लवण है, लेकिन अत्याधुनिक तकनीक से इसको कम करके पेयजल के लिए उपयोग में लिया जा रहा है। यही तकनीक यहां अपनाने की संभावना है।
तेल-गैस-कोयला और पानी
इस इलाके में यह अद्भुत संयोग और है कि जमीन के भीतर यहां पहले कोयला मिला। कोयले के बाद यहां प्राकृतिक गैस केे खजाने की खोज हुई और अब उत्पादन हो रहा है। इसी क्षेत्र में क्रूड ऑयल के अथाह भण्डार मिले है। अब इसी जमीन के नीचे की परत में समुद्र हिलोरे ले रहा हैै।
सरस्वती नदी का इलाका
यह सरस्वती नदी का इलाका माना जाता हैै। सरस्वती नदी के पदचिन्ह वैज्ञानिकों ने जहां-जहां खोजे है, उसी रास्ते में यह समुद्र भी है। हालांकि सरस्वती की खोज को लेकर भी रेगिस्तान में अभी तक बड़ा काम नहीं हुआ है।