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पितृ पक्ष की सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग, जाने कैसे करें श्राद्ध

इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग भी बन रहा है इस योग में श्राद्ध करने से विशेष फल प्राप्त होगा।

बरेलीOct 06, 2018 / 10:06 am

suchita mishra

pitru paksh

पितृ पक्ष की सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग, जाने कैसे करें श्राद्ध

बरेली। सूर्योदय कालीन आश्विन अमावस्या के दिन श्राद्ध पक्ष की समाप्ति होती है। बालाजी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार इस वर्ष सर्वपितृ श्राद्ध की अमावस्या आठ अक्टूबर को होगी क्योंकि आश्विन अमावस्या का प्रारम्भ दिनांक 08 अक्टूबर को पूर्वान्ह 11ः32 बजे हो रहा है तथा समाप्ति 09 अक्टूबर को प्रातः 09ः17 बजे हो रही है। अतः 08 अक्टूबर सोमवार को सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या है तथा 09 अक्टूबर मंगलवार को देव कार्य अमावस्या अर्थात भौमवती अमावस्या रहेगी। जो कि कर्ज दोष निवारण के लिए अति उत्तम रहेगी। इस वर्ष सर्व पितृ अमावस्या पर गजछाया योग भी बन रहा है इस योग में श्राद्ध करने से विशेष फल प्राप्त होगा।
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गजछाया योग है उत्तम

इस बार 08 अक्टूबर के दिन बनने वाला गजछाया योग अपराह्न 01ः33 बजे से सूर्यास्त तक है।इस योग में श्राद्ध, तर्पण, एवं पितृ दोष निवारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है एवं पितृ तृप्त होते है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण श्रृाद्ध करने वाले को सौभाग्य के साथ धन की प्राप्ति भी होती है। इस दिन सर्वपितृ श्रृाद्ध अमावस्या को अज्ञात पुण्यतिथि वाले सभी मृतक पुरूष जातकों का श्राद्ध किया जाता है।
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कैसे करें श्राद्ध

सर्व पितृ अमावस्या वाले दिन घर को स्वच्छ कर पुरूषों को सफेद वस्त्र एवं स्त्रियों को पीले अथवा लाल वस्त्र धारण करना चाहिए। श्राद्ध का उपयुक्त समय कुतुपकाल मध्यान्ह होता है। भोज्य सामग्री बनने के पश्चात् सर्वप्रथम हाथ में कुश, काले तिल और जल लेकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके संकल्प लेना चाहिए, जिसमें अपने पितृों को श्राद्ध ग्राह्म करने के लिए इनका आवाहन करने और श्राद्ध से संतुष्ट होकर कल्याण की कामना करनी चाहिए। तत्पश्चात् जल, तिल और कुश को किसी पात्र में छोड़ दें एवं श्राद्ध के निमित्त तैयार भोजन साम्रगी में से पंचवली निकालें। देवता के लिए किसी कण्डे अथवा कोयले को प्रज्ज्वलित कर उसमें घी डालकर थोड़ी-थोड़ी भोज्य सामग्री अर्पित करनी चाहिए। शेष जिनके निमित्त है उन्हें अर्पित कर देनी चाहिए। श्राद्ध के लिए पंचबली विधान के पश्चात् ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। तदोपरान्त ब्राह्मणों को अपना पितृ मानते हुये ताम्बूल और दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए और उनकी चार परिक्रमायें करनी चाहिए, साथ ही श्रद्धा के अनुसार उन्हें दान करना चाहिए।

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