बरेली

इस्लामिया मैदान में दिखेगा आला हजरत का इल्मी खजाना, लगेगा मज़हबी किताबों का सबसे बड़ा मेला

इस्लामिया मैदान में आला हजरत की लिखी किताबों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसमे जायरीनों को लगभग 400 किताबों की जियारत कराई जाएगी।

बरेलीOct 17, 2018 / 08:54 am

suchita mishra

बरेली।आला हजरत का 100वां उर्स ए रज़वी तीन से पांच नवंबर तक बरेली समेत दुनिया के तमाम मुल्कों में मनाया जाएगा। आला हजरत के 100वें उर्स को यादगार बनाने के लिए दरगाह आला हजरत ने जोर शोर से तैयारियां शुरू कर दी है। 100वें उर्स के अवसर पर इस बार आला हजरत के मुरीदों को उनके हाथों से लिखी किताबों को भी देखने का मौका मिलेगा।इमाम अहमद रज़ा एकडेमी की तरफ से इस्लामिया मैदान में आला हजरत की लिखी किताबों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी जिसमे जायरीनों को लगभग 400 किताबों की जियारत कराई जाएगी।
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1 से 5 नवंबर तक लगेगी प्रदर्शनी

दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि इस बार 100वें उर्स को लेकर स्वाले नगर की इमाम अहमद रज़ा एकेडमी की तरफ से दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपररस्ती में उर्स स्थल इस्लामिया मैदान में आला हज़रत के हाथों लिखी लगभग 400 किताबों की ज़ायरीन को ज़ियारत कराई जाएगी। इमाम अहमद रज़ा एकडेमी के चेयरमैन मुफ़्ती हनीफ रज़वी ने बताया कि नुमाइश में आला हज़रत के हाथों लिखी ( मूल प्रति,छाया प्रति व जो प्रकाशित हो चुकी की है) किताबों की प्रदर्शनी लगेगी । इसमे ख़ास तौर से फतवा रज़विय, अल दौलत उल मककिया (जिसे आला हज़रत ने मक्का शरीफ में बुखार की हालत में 8 घंटे में लिख दिया था), रसाइले रज़विया की 50 जिल्दें, तमहीदे ईमान, फौज़ ए मोबीन (विज्ञान), इल्मे जफर, जीज सुल्तानी, कंजुल ईमान, नातिया दीवान, हदाइख ए बख्शिश जो चार रंगों में शाया की गयी है, नुमाइश की खास ज़ीनत होगी। इसके अलावा आला हज़रत की सीरत पर मुफ़्ती हनीफ रज़वी द्वारा अब तक कि लिखी सबसे बड़ी किताब “जहाने आला हज़रत” 20 जिल्दों में है इसको भी दिखाया जाएगा।नुमाइश 1 नवम्बर से 5 नवम्बर तक पांच दिन चलेगी।इसके अलावा उर्स स्थल पर हिंदुस्तान का सबसे बड़ा मज़हबी पुस्तकों का मेला भी लगेगा। जिसमे 6 दर्जन स्टाल लगाए जाएंगे।
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इल्म से है आला हजरत की पहचान

आला हज़रत फाज़िले बरेलवी की पहचान पूरी दुनिया मे इल्म की बुनियाद पर है। आला हजरत ने अपनी 65 साल की ज़िन्दगी में सैकडों किताबें लिखीं। इसी वजह से दुनिया आपको इल्म (ज्ञान) का समन्दर कहती है। आला हज़रत ने अरबी-उर्दू ही नही बल्कि विज्ञान, गणित,अर्थशास्त्र, कॉमर्स आदि जैसे विषयों पर भी कलम चलाई है। वहीं आपकी नातिया शायरी आज भी पूरी दुनिया मे पढ़ी व सुनी जा रही है।

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