आदेश की अनदेखी और फाइलों में देरी के आरोप
नरेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि उन्होंने विरासत और पटाखा लाइसेंसों के रिन्युवल से जुड़ी कई फाइलें दबाए रखीं और उनमें आवश्यक कार्रवाई नहीं की। डीएम के आदेश में कहा गया है कि यह लापरवाही शासकीय कर्तव्यों की अनदेखी और उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवहेलना है।
27 सितंबर का निरीक्षण और मिली खामियां
डीएम ने 27 सितंबर को शस्त्र अनुभाग का औचक निरीक्षण किया, जिसमें थाना-वार विरासत रजिस्टरों की जांच की गई। इस दौरान पाया गया कि 12 आवेदन, जिन पर पुलिस और तहसील रिपोर्ट पहले ही आ चुकी थी, उन पर आगे की कार्रवाई नहीं की गई। पिछले एक साल में नरेंद्र प्रताप को कई बार मौखिक रूप से निर्देश दिए गए थे कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद फाइलों पर तुरंत कार्रवाई की जाए, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
पटाखा लाइसेंस में देरी और नवीनीकरण में अनियमितता
जांच में यह भी पाया गया कि कई पटाखा लाइसेंस धारकों के आवेदन, जैसे नदीम, संदीप, सुरजीत और दिनेश कुमार के लाइसेंस, संस्तुति के बावजूद निरस्त नहीं किए गए। कुछ लाइसेंस धारक, जैसे मो. फिरोज, राशिद हुसैन, और जुनैद खां ने नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था, फिर भी उनके लाइसेंस रद्द नहीं किए गए। वहीं, पंकज खंडेलवाल, राजू अहमद, वीरपाल सिंह और अन्य के आवेदन पर रिपोर्ट नहीं आई थी, और इसके बावजूद संबंधित विभागों को रिमाइंडर भी नहीं भेजा गया। अर्द्धवेतन पर जीवन निर्वाह भत्ता
निलंबन के दौरान नरेंद्र प्रताप सिंह को वित्तीय नियमों के तहत जीवन निर्वाह भत्ते के रूप में अर्द्धवेतन दिया जाएगा, लेकिन इस पर महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा।
एडीएम सिटी की रिपोर्ट का हवाला
डीएम के आदेश में एडीएम सिटी की निरीक्षण रिपोर्ट का भी उल्लेख है, जिसमें यह पाया गया कि पटाखा लाइसेंस के नवीनीकरण की प्रक्रिया लंबित रही, क्योंकि कई लाइसेंस संस्तुति न होने के बावजूद निरस्त नहीं किए गए। इससे फाइलें अनावश्यक रूप से लंबी अवधि तक रुकी रहीं।
अटकी फाइलों की सूची
जांच में यह भी पाया गया कि थाना बिथरी, बारादरी, सुभाषनगर, इज्जतनगर, किला, सीबीगंज और प्रेमनगर के कई आवेदकों की फाइलें बिना कार्रवाई के दबाए रखी गईं। इनमें रुपेंद्र सिंह, सत्यपाल, शाहरेज खां, शिवम मिश्रा, उज्जवल, सौरभ शर्मा और अन्य के नाम शामिल हैं।