फर्जी बिलिंग और कर चोरी का खुलासा
संयुक्त आयुक्त अवधेश सिंह के निर्देश पर एसआईबी के उपायुक्त अनिरुद्ध सिंह, सहायक आयुक्त वेद प्रकाश शुक्ला, और विकास मिश्रा की टीम फर्म में ग्राहक बनकर पहुंची। जरी का एक साड़ी खरीदने पर पक्का बिल मांगने पर कर्मचारियों ने बिल देने से मना कर दिया। इसके बाद दुकानदार मोहम्मद इकराम ने एक पर्ची पर साड़ी की कीमत और हस्ताक्षर लिख दिए। जांच में सामने आया कि फर्म ने फर्जी फर्मों से बड़े पैमाने पर सामान खरीदा था। एसआईबी टीम को प्रथम दृष्टया 50 लाख रुपये का माल फर्जी फर्मों से खरीदा गया मिला। इस पर टीम ने करीब 43 लाख रुपये के कपड़े सीज कर दिए और 6 लाख रुपये का टैक्स जमा करवाया।
5 करोड़ का टर्नओवर लेकिन टैक्स नहीं
फर्म पर करीब पांच करोड़ रुपये का वार्षिक व्यापार होने के बावजूद मामूली राज्यकर जमा किया जा रहा था। कर चोरी से बचने के लिए, कारोबारी दिल्ली और कानपुर की पंजीकृत फर्जी फर्मों के नाम पर बिल बनाकर जीएसटी समायोजन कर रहा था।
टीम ने जब्त किए दस्तावेज
टीम ने फर्म में मौजूद कई दस्तावेज जब्त किए। जांच के दौरान व्यापारी ने कर चोरी स्वीकारते हुए माफी मांगी। अधिकारियों ने दस्तावेजों और स्टॉक का मिलान किया और कर चोरी की पुष्टि होने पर आवश्यक कागजात और स्टॉक सीज किए। फर्म के दस्तावेजों से पता चला कि कर चोरी के लिए फर्जी बिलों का सहारा लिया जा रहा था, जिसमें कानपुर और दिल्ली की पंजीकृत फर्जी फर्में शामिल थीं।