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पशुओं में टीकाकरण चुनौती, अब तक 3.80 लाख को ही वैक्सीन लगे

पशुओं में वर्ष व शरद ऋतु में होने वाले बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण किया जाता है।

बारांSep 16, 2024 / 11:32 pm

mukesh gour

पशुओं में वर्ष व शरद ऋतु में होने वाले बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण किया जाता है।

पशुओं में वर्ष व शरद ऋतु में होने वाले बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण किया जाता है।

जिले में पांच लाख से अधिक पशुओं को लगनी है खुरपका-मुंहपका की वैक्सीन

कोयला. पशुओं में वर्षाजनित बीमारियों को लेकर पशुपालन विभाग ने वैक्सीनेशन पूरा करने का दावा किया है। शरद ऋतु में पशुओं को होने वाले खुरपका व मुंहपका रोग नियंत्रण के लिए 45 दिनों में 5 लाख से अधिक पशुओं को टीके लगाए जाने हैं, फिलहाल 3 लाख से ऊपर टीके लगाए जा चुके हैं। विभाग के लिए सभी पशुओं का टीकाकरण चुनौती बना हुआ है। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. हरिबल्लभ मीणा ने बताया कि पशुओं में वर्ष व शरद ऋतु में होने वाले बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण किया जाता है। वर्ष 2019 की गणना के अनुसार जिले में करीब गोवंश 266043 और भैंसों की संख्या 288120 है। इसके अलावा बकरियों, भेड़ और ऊंट की संख्या में है।
हर साल होती है जिले में कई पशुओं की मौत

पशुओं में समय-समय पर विभिन्न बीमारियां भी आती रहती हैं। इनके कारण बहुत से पशुओं की मौत हो जाती है। विभाग द्वारा बीमारियों से बचने के लिए निशुल्क टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। पशुओं को बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण की जानकारी पशुपालकों को होनी आवश्यक है।
शरद ऋतु में यह रोग

खुरपका व मुंहपका के लिए वैक्सीनेशन जारी है। करीब साढ़े 5 लाख पशुओं में से अब तक 3 लाख के ऊपर टीकाकरण हुआ है। शेष करीब पौने दो लाख पशुओं को आगामी 45 दिन में वैक्सीन लगनी है। यह बीमारी नवंबर से शुरू होती है।
वर्षाजनित बीमारियां

गोवंश व भैंस में गलघोटू व लंगड़ा बुखार, बकरियों में फड़क्या व काली (छेरा) , दस्त : इसमें बकरियों को पेट में आफरा आता है।

विभाग का दावा

वर्तमान में पशुओं से वेक्सिनेशन पूर्ण। बीमारी से पशुओं के मरने की सूचना नहीं। करंट या बारिश में जलभराव के दौरान कुछ पशुओं की मौत हुई।
होता है टीकाकरण

खुरपका व मुंहपका रोग से बचाव के लिए पशु को 4 महीने,दूसरी डोज 8 महीने ओर फिर बूस्टर के तौर पर हर साल इस वेक्सिन को रिपीट किया जाता है। कई बार गल घोटू रोग पशुओं के लिए जानलेवा साबित होता है। पशुओं को इस रोग से बचाने के लिए 6 महीने के अंतराल पर टीकाकरण करवाना चाहिए।

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