केटरिंग सर्विस चलाने वालों का कहना है कि अब दिनोंदिन होटल सर्विस और केटरिंग सर्विस प्रोवाइडर्स और लोग खाने की बर्बादी रोकने जागरूक हो रहे हैं। शादी में अब कंफर्मेशन लेकर ही खाना बन रहा है। पहले 30 फीसदी तक खाना शादी में बर्बाद होता था, अब यह आंकड़ा घटकर 10 से 15 फीसदी रह गया है।
हर शादी में होती है बर्बादी आंकड़ों की माने तो भारत में हर साल एक करोड़ शादियां होती हैं। एक आम शादी में 30 और एक बड़ी शादी में अधिकतम 800 किलो तक खाना फेंक देता हैं। इतने खाने में 100 से लेकर दो हजार लोगों का पेट भरा जा सकता है। उत्कल हिस्टोरिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार भारत में खाने की सबसे ज्यादा बर्बादी शादियों में होती है। इसका कारण लोगों का जरूरत से ज्यादा खाना प्लेट में ले लेना है।
कई समाज इस तरह से कर रहे पहल गुर्जर समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि हम अपने समाज में लोगों से अपील कर रहे हैं कि शादी में खाने की कम से कम बर्बादी करें। मेहमानों की संख्या व्यवस्था के अनुसार ही रखी जाए। हमारे समाज में 90 से 95 फीसदी शादियों में अब कम लोग बुलाए जा रहे हैं, पहले यह संख्या हजारों में होती थी। कायस्थ महासभा ने भी इसको रोकने के लिए कदम उठाया है। समाज की बैठक आयोजित कर शादियों में खाने की बर्बादी रोकने के लिए जागरूक करते हैं। क्षत्रिय समाज ने इस इस पर रोक लगाने की शुरूआत कर दी है। समाज में शादी में खाने की बर्बादी रोकने के लिए केवल 9 आइटम बनाने को कहा गया है। वहीं बैठकर खाना खिलाने से भी बर्बादी रोकी जा सकती है।
टिप्स : खाना बर्बाद होने से इस तरह बचा सकते हैं खाने के मेन्यू में सीमित आइटम ही रखें।
बुफे की जगह अगर बैठाकर खाना परोसा जाए, तो बर्बादी रोकी जा सकती है।
भोजन बच रहा है, तो जरूरतमंदों में सुविधानुसार वितरित कर दें।
उतना ही खाना थाली में, जो फेंका न जाएं
मेहमानों की संख्या और कन्फर्मेशन तय कर ही खाने की मात्रा तय की जाए।
शादी समारोह व अन्य समारोह में होने वाले भोज में अन्न की बर्बादी पर रोक लगाने के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करना चाहिए। दिखावे के चक्कर में अनावश्यक सामग्री भी बना ली जाती है। इससे अन्न, समय व धन की व्यर्थ बर्बादी होती है। वहीं कमजोर तबके के लोगों पर अनावश्यक आर्थिक भार भी पड़ता है। अन्न की बर्बादी पर नियंत्रण होना चाहिए।
अशोक बंसल, अध्यक्ष, वैष्णव अग्रवाल पंचायत उत्सवों व विवाह समारोह में फिजूलखर्ची न करें, दिखावा न हो, आथित्य सत्कार होना ही पर्याप्त होता है। जो सामान्य व्यवस्थाओं से भी सम्पन्न हो जाता है। अन्न को शास्त्रों में अन्नदेव कहा जाता है। इसलिए हम सब की जिम्मेदारी है कि अन्न की बर्बादी न हो, जंकफूड से बचाव करे। मेनू छोटा बनाए। वहीं अतिथि भी थाली में उतना ही लें जिसे फेंकना न पड़े।
कपिलदेव शर्मा, जिलाध्यक्ष, विप्र फाउण्डेशन सादगीपूर्ण विवाह व अन्य आयोजन सम्पन्न करना चाहिए। दिखावे के लिए नहीं, आत्मीयता के लिए भोज का आयोजन किया जाता है। इसलिए अन्न की बर्बादी नही होनी चाहिए। बुफे पद्धति हमारे संस्कार नही हैं, इसलिए बैठाकर ही भोजन करवाना चाहिए, इससे अन्न का अनादर व बर्बादी भी न हो। वही कमजोर तबके के लोगों भी अतिरिक्त आर्थिक भार से भी बच सकें।
लाखन सिंह लुहारिया, प्रदेश सचिव, राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना