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बारां

अड़ गए रावण और मेघनाद, नीचे गिराकर करना पड़ा दहन

आधे घंटे की मशक्कत के बाद रावण तथा मेघनाद के पुतले जले। इससे शहर के लोग निराश दिखे।

बारांOct 13, 2024 / 12:00 pm

mukesh gour

आधे घंटे की मशक्कत के बाद रावण तथा मेघनाद के पुतले जले। इससे शहर के लोग निराश दिखे।

आधे घंटे की मशक्कत के बाद रावण तथा मेघनाद के पुतले जले। इससे शहर के लोग निराश दिखे।

कुंभकर्ण चंद पलों में जला, रावण-मेघनाद के पुतले जलाने में लगा आधा घंटा

vijayadashmi : बारां. बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक दशहरा पर्व के अवसर पर शनिवार को लंका कॉलोनी क्षेत्र स्थित दशहरा मैदान में रावण दहन किया गया। रावण के पुतले के दहन से पूर्व पूजा अर्चना की गई। रावण का पुतला दहन करीब 7.20 पर किया गया।
रावण दहन से पूर्व दशहरा मैदान पर श्रीजी मंदिर तथा रघुनाथजी मंदिर के देव विमान गाजेबाजे के साथ श्रीजी चौक से दशहरा मैदान पर पहुंचे। इसी दौरान श्रीमहावीर कला संस्थान के कलाकार श्रीराम, लक्ष्मण तथा हनुमान के साथ वानर सेना लेकर पहुंचे। सर्व प्रथम श्रीजी मंदिर के पुजारी दुर्गाशंकर शर्मा के साथ कई पुजारियों ने रावण के पुतले की पूजा-अर्चना कर सांकेतिक रूप से छोटा बाण छुआया। इसके बाद ने बाण चलाकर रावणवध किया। लंका कॉलोनी स्थित दशहरा मैदान में रावण दहन का ²श्य देखने के लिए हजारों की तादाद में लोग जमा हुए। इस दौरान दशहरा मैदान में जमकर आतिशबाजी भी की गई। दशहरा मैदान पर अशोक वाटिका में सीतामाता की झांकी भी सजाई गई थी। शनिवार को दशहरा मैदान में रावण दहन के कार्यक्रम के दौरान जिला कलक्टर रोहिताश्व तोमर तथा पुलिस अधीक्षक राजकुमार चौधरी व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश चौधरी भी रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए। दशहरा मैदान में पहुंचने पर नगर परिषद आयुक्त सौरभ जिन्दल ने अधिकारियों का स्वागत किया। दशहरा मैदान में रावण दहन के दौरान बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। पुलिस उपाधीक्षक ओमेन्द्र शेखावत ने सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाल रखी थी। वहीं दमकल तथा एम्बुलेंस भी मौके पर तैनात रही।
लोगों में निराशा
रावण दहन के दौरान सबसे पहले कुंभकर्ण के पुतले को जलाया गया। जो चंद पलों में ही खाक हो गया। उसके दोनों हाथ फिर भी नहीं जले। इसके बाद मेघनाद व रावण का पुतला जलाया। लेकिन रावण के पुतले के केवल पैर व एक मुख ही जल पाया। बाद में उसे जमीन पर गिराकर जलाया गया। वहीं मेघनाद के पुतले के भी सिर्फ पैर ही जले, लाख प्रयास के बाद भी जब मेघनाद का पुतला नहीं जल पाया तो उसे जमीन पर गिराकर जलाया गया। आधे घंटे की मशक्कत के बाद रावण तथा मेघनाद के पुतले जले। इससे शहर के लोग निराश दिखे।

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