बारां को अकलेरा से जोडने वाले नेशनल हाइवे 90 सडक़ के किनारे कवाई व छीपाबड़ौद के मध्य टांचा गांव के समीप स्थित कालाजी का बाग के नाम से जाना जाने देवस्थान के बगीचे के केंद्र में स्थित कालाजी व गोराजी के स्थान पर 24 घंटे 12 माह अखंड ज्योत जलती हैं। मंदिर विकास समिति के सदस्यों सहित ग्रामीणों ने बताया कि जिले भर सहित दूरदराज के लोगों की आवाजाही बनी रहती है। पूर्व सरपंच भगवान ङ्क्षसह मीणा, विकास समिति अध्यक्ष अर्जुन यादव, कोषाध्यक्ष बबलू गुर्जर, मुकेश यादव व पुजारी छोटू गुर्जर ने बताया कि इस स्थान पर अब तक सरकार की ओर से किसी तरह का विकास कार्य नहीं कराया गया है। कुछ समय पहले यहां इंटरलॉङ्क्षकग का कार्य जरूर करवाया गया है।
करीब 200 बीघा में है क्षेत्रफल करीब 200 बीघा के क्षेत्रफल में फैले इस बाग में आज भी हजारों की तादाद में कदंब के पेड़ हैं। बारिश के दिनों में इनकी महक से 4-5 किलोमीटर दूर तक का इलाका महकता है। इसके अलावा इस बाग में बड़ी संख्या में बिल्व पत्र, छोळा, आमली, शमीपत्र, बड़, पीपल, नीम, सहित कई प्रजातियों के पौधे इस भाग को छोटे जंगल का स्वरूप प्रदान करते हैं। यहां पर नीलगाय सहित और भी कई वन्यजीवों का रहवास है। बगीचे के मध्य होकर निकल रही एक पगडंडी ने यहां की सुंदरता को चार चांद लगा रखे हैं।
तीन दशक पहले बदला था स्थान, अब फिर तैयारी मंदिर विकास समिति के सदस्यों द्वारा दानपत्र में एकत्रित होने वाले दान से ही अब तक यह का विकास कार्य करवाया गया है। ऐसे में करीब तीन दशक वर्ष पहले यहां एक खुले चबूतरा का स्थान था। जहां देव प्रतिमाएं स्थापित थी। बाद में दान पत्र की राशि एकत्रित होने पर दूसरा स्थान बनवाया गया तो वहीं वर्तमान में अब और भाव स्थान बनवाया गया है। आगामी एक-दो वर्षों में इन्हीं देव प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी।