विभाग की टीम ने पीडि़त बालिका के गांव पहुंच कर परिजनों और स्थानीय लोगों से बातचीत की है। उनके स्वास्थ्य की स्थिति की जांच भी की गई। इस बालिका का इलाज पहले झालावाड़ के मेडिकल कॉलेज, बाद में कोटा के जेके लोन अस्पताल में किया गया था।
कोटा मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मोहित ने बताया कि यह मामला 9 अक्टूबर का था। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद बालिका पूरी तरह से स्वस्थ थी।
स्वास्थ्य विभाग ने एहतियात के तौर पर बच्ची के घर के परिवारों के स्वास्थ्य की भी जांच कर आसपास के घरों का भी सर्वे किया है। लोगों से कहा गया है कि किसी भी तरह की सर्दी, खांसी, बुखार, जुकाम, इन्फ्लूएंजा आदि के लक्षण नजर आए तो तुरंत अस्पताल में अपनी जांच करवाएं।
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संपतराज नागर ने कहा है कि जरूरत पडऩे पर और गांव के और अधिक घरों में सर्वे करवाया जाएगा। अगर मामले बढ़ते हैं तो पीएचसी सीएचसी और जिला अस्पताल में कोविड की तरह व्यवस्थाएं कर ली गई है। आगे राज्य सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से काम किया जाएगा।
सतर्क हुई टीम सूचना प्राप्त होने के बाद जिला स्तरीय टीम द्वारा तुरन्त ब्लॉक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी छीपाबड़ौद एवं चिकित्सा अधिकारी प्रभारी सारथल को सूचना उपलब्ध कराई गई। तथा तुरंत प्रभाव से प्रभावित गांव में आरआरटी टीम द्वारा गतिविधि करने के निर्देश दिए गए।
चिकित्सक ने गांव में पहुंच कर रोगी भूमिका पुत्री बबलू लोधा (6 माह ) ग्राम बाल्दा तहसील के परिवार से संपर्क किया गया। चिकित्सा टीम को परिजनोड्ड ने बताया गया कि बच्ची को तीन माह पहले सर्दी, जुखाम, बुखार की शिकायत होने पर झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
रोगी कि स्थिति में सुधार न होने पर जेके लोन हॉस्पिटल कोटा रैफर कर दिया। जहां रोगी को 02 अक्टूबर 2024 को भर्ती कराया। यहां श्वास रोग सबंधित 32 प्रकार के वायरस व बैक्टेरिया की पहचान के लिए जांच की जाती है। रोगी का स्वाब लिया गया। इसकी रिर्पोट 9 अक्टूबर 2024 को एचएमपीवी वायरस पॉजिटिव पाई गई।
चिकित्सालय में एचएमपीवी संक्रमित बालिका को 14 दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। जहां पर उसे 25 दिन भर्ती रखा गया। उसके बाद कोटा में ही निजी क्लीनिक में 30 दिसम्बर 2024 को भर्ती कराया। जहां स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉ. नागर ने बताया कि बालिका स्वस्थ है तथा गांव में परिजनो के साथ है।
मेडिकल कॉलेज कोटा द्वारा एचएमपीवी वायरस पॉजिटिव रोगी भूमिका के बारे में न तो आईडीएसपी कोटा को और न ही बारां को सूचना दी गई तथा उक्त सूचना अन्य माध्यम से प्राप्त हुई। इसके तुरन्त बाद कार्रवाई अमल में लाई गई।
डॉ. सम्पतराज नागर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बारां क्या है एचएमपीवी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस एक ऐसा वायरस है जो न्यूमोविरिडे परिवार से संबंधित है। यह वायरस सबसे पहले 2001 में डच शोधकर्ताओं द्वारा पहचाना गया। एचएमपीवी अब विश्वभर में फैल चुका है। यह हल्की ठंड जैसी बीमारी से लेकर गंभीर निमोनिया जैसी सांस की बीमारियों का कारण बन सकता है।
5 साल से कम उम्र के छोटे बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग, कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग, कैंसर के मरीज जो कीमोथेरेपी ले रहे हैं, जिन लोगों को अस्थमा या पुरानी फेफड़ों की बीमारियां है। 5 साल की उम्र तक के लोग एचएमपीवी से संक्रमित हो चुके होते हैं, लेकिन उन्हें जीवन भर संक्रमण का खतरा बना रहता है।
यह है लक्षण तेज बुखार, सांस लेने में घरघराहट, सांस लेने में कठिनाई, निमोनिया, खांसी, बहती नाक, सांस लेने में कठिनाई, उल्टी आना। ऐसे फैलता है वायरस अन्य श्वसन वायरस की तरह, एचएमपीवी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने, दूषित सतहों से फैलता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकली बूंदों के माध्यम से, सीधे संपर्क, जैसे चुंबन, हाथ मिलाना या बीमार व्यक्ति की देखभाल करना, दूषित सतहों को छूने और फिर अपने मुंह, नाक या आंखों को छूने से। एचएमपीवी वायरस सतहों पर कई घंटे तक जीवित रह सकता है। जिससे इसका संक्रमण आसान हो जाता है।