विभागीय अधिकारियों के अनुसार बूंदी का रामगढ़ विषधारी अभयारण्य 98.80 वर्ग किलोमीटर में फैला है। वन्यजीव विभाग ने ईको सेंसेसिटव जोन की सीमा 348.60 वर्ग किलोमीटर निर्धारित की है। इसमें बारां जिले के 26 और झालावाड़ जिले के 12 गांव शामिल किए जाएंगे।
ये सभी गांव अटरू, छीपाबड़ौद, खानपुर, बारां और झालावाड़ ब्लॉक के हैं। कोटा वन्यजीव विभाग के डीसीएफ अनुराग भटनागर ने बताया कि सेंसेटिव जोन के लिए एरिया नोटिफाइड कर लिया है। एक-दो दिन में इस पर अधिकृत मुहर लग जाएगी।
चीता छोडऩे के लिए कॉरिडोर का प्रस्ताव बारां शहर से 65 किमी दूर स्थित शेरगढ़ अभयारण्य 9888 हैक्टेयर में फैला है। गांधी सागर, मुकंदरा नेशनल पार्क, चंबल घडियाल, शेरगढ़ और कुनो के बीच चीता कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसे देखते हुए ईको सेंसिटिव जोन बनाया जा रहा है। क्षेत्र परवन नदी के किनारे घने जंगलों वाला है, यहां ङ्क्षचकारा, हायना, भेडिय़ा आदि वन्यजीव विचरण करते हैं। कुछ साल पहले यहां चीता छोडऩे का प्रस्ताव था। परवन नदी में भी नौकायन शुरू करने की तैयारी विभाग कर रहा है।
यह होता है खास
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ईको सेंसिटिव जोन अधिसूचित किया गया है। यह जोन पर्यावरण संरक्षण के लिए बनाए जाते हैं। इसमें व्यावसायिक गतिविधियां प्रतिबंधित रहती हैं। कुछ की सरकार अनुमति देती है। इस जोन में न पेड़ काटे जा सकते हैं, न खनन हो सकता है। पक्के निर्माणों की भी अनुमति नहीं होती है। केवल पहले से हो रही खेती-बाड़ी और पर्यटन के लिए होटल आदि को अनुमति मिल सकेगी।
ईको सेंसेटिव जोन में शेरगढ़, नीमथूर, करसालिया-केरवालिया, अमलावदा आली, कल्याणपुरा, गुंदलाई, चारपुरा, सांरगखेड़ा, जोधपुरा, गुर्जरखेड़ी, मौखमपुरा, माधोपुरा, पंचकुल, कोडक्या, भरतपुर, खेड़ी, बोसार, किशनपुरा, बारापाटी, दुर्जनपुरा, नयागांव ठाकुरान, बड़ौरा, लक्ष्मीपुरा, रायपुरिया, नारायणपुरा, हरिपुरा, बरखेड़ी, कनवाडिय़ा, अकावद खुर्द, हटोली, हटोला, महुआखेड़ा, खेरखेड़ाऊ, पीपल्या, मालीनी और भीलखेड़ा गांव शामिल हैं। ये ऐसे गांव हैं जो अभयारण्य की सीमा में बसे हैं।
ये गांव होंगे शामिल
शेरगढ़ अभयारण्य के 348 वर्ग किलोमीटर में ईको सेंसेटिव जोन का नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। इसका लेकर प्रस्ताव तैयार कर दिल्ली भेजा जा चुका है, जल्दी इसकी स्वीकृति मिलने की संभावना है।
जितेंद्र कुमार, रेंजर, बड़ौरा