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असमंजस : 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के चक्कर में उलझ रहे लोग

कई विद्वान 1 नवंबर के पक्ष में हैं, तो कई 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ बता रहे हैं

बारांOct 15, 2024 / 11:56 am

mukesh gour

कई विद्वान 1 नवंबर के पक्ष में हैं, तो कई 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ बता रहे हैं

कई विद्वान 1 नवंबर के पक्ष में हैं, तो कई 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ बता रहे हैं

दिवाली को लेकर पसोपेश, परंपरा और शास्त्रों को लेकर विद्वानों में मतभेद

बारां. दीपावली कब मनाएं ! इन दिनों सभी एक-दूसरे से यही पूछ रहे हैं। 31 अक्टूबर और 1 नवंबर के चक्कर में लोग उलझ रहे हैं। इधर, कई विद्वान 1 नवंबर के पक्ष में हैं, तो कई 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना श्रेष्ठ बता रहे हैं, जानते हैं इसे लेकर क्या मत हैं…
1 को मने दीपोत्सव

ज्योतिषाचार्य पंडित जर्नादन शुक्ला ने बताया कि 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना धर्मशास्त्रों की अनदेखी होगी। उनका कहना है, 1 नवंबर को अमावस्या सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों के समय विद्यमान है, इसलिए उसी दिन दीपावली मनाना शास्त्रों के अनुसार उचित होगा। उज्जैन के अधिकांश विद्वान, जिनमें उज्जैप के विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति बालकृष्ण शर्मा भी शामिल हैं, इस मत का समर्थन कर रहे हैं। विद्वानों का मानना है, इसी आधार पर 1 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन और दीपदान करना धर्मसम्मत होगा। कई जगह पर विद्वत परिषद ने भी गहन विचार-विमर्श कर 1 नवबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है। पंचांगों के अनुसार, 1 नवबर को प्रदोषकाल में महालक्ष्मी पूजन किया जाना शास्त्र सम्मत है।
यह है विवाद की जड़
विवाद की असली जड़ तिथियों की गणना में आया अंतर है। जहां सूक्ष्म गणना के अनुसार 1 नवंबर 2024 को अमावस्या और प्रदोषकाल साथ आ रहे हैं। विद्वानों का मत है कि ऐसे समय में पर्व का आयोजन प्रदोषकाल में किया जाना चाहिए।
काल गणना अनुसार 31 अक्टूबर ज्यादा सही, इसी दिन अमावस्या
ज्योतिर्विद आचार्य धीरेन्द्र का कहना है हमारा पंचांग सबसे पुराना है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में ग्वालियर स्टेट का पंचांग लागू होता है, इन दोनों ही पंचांगों में 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का उल्लेख है। ज्योतिषाचार्य देवेन्द्र प्रतिहस्त का कहना है कि 31 तारीख को ही मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित है, क्योंकि काल गणना और ज्योतिष विधि के अनुसार 31 को ही अमावस्या होना माना जा रहा है। 1 नवंबर को शाम होने से पहले ही अमावस्या खत्म हो जाएगी। कई का कहना है, ङ्क्षहदू धर्म में 5 दिन दीपोत्सव मनाने की परंपरा है। इस अनुसार 31 को दीपावली मनाना श्रेष्ठकर होगा, 1 नवंबर को सुबह 7 अमावस्या खत्म हो जाएगी।

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