मुख्तार अंसारी ने कही ये बात
कोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रभारी सीजेएम कमलापति के सामने मुख्तार अंसारी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि आगे कहा इस केस में किसी के फर्जी बयान को मेरे खिलाफ आधार बनाया जा रहा है। जबकि पुलिस की ये कार्रवाई सरासर गलत है। किसी के कुछ भी बयान दे देने से मुझे मुलजिम नहीं बनाया जा सकता। मुख्तार ने कहा कि मैं 16 साल से जेल में हूं। घटना 2013 की है और जेल में रहते हुए मुझे जिस गाड़ी से ले जाया जाता है वो पुलिस और पंजाब सरकार की जिम्मेदीरी थी। वकीलों के मुताबिक मुख्तार अंसारी ने कहा कि मुझे अगर इस तरीके की सुविधाएं चाहिए होतीं, तो हम इस तरीके की ऐम्बुलेंस नहीं रखते। हम वीआईपी गाड़ी रखते और उससे आते जाते। सीजेएम कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई को लेकर मुख्तार अंसारी के वकील रणधीर सिंह सुमन और विजय प्रताप सिंह ने यह तमाम जानकारी दी। दोनों वकीलों ने बताया कि इस केस में अगली सुनवाई अब 28 जून को होगी।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि यह मामला उस समय है, जब मुख्तार अंसारी पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था। मुख्तार को एम्बुलेंस से मोहाली की कोर्ट में पेशी पर ले जाया गया था। उस समय इस एंबुलेंस के प्रयोग का खुलासा हुआ था। एम्बुलेंस पर यूपी के बाराबंकी की नंबर प्लेट लगी थी। मामले ने तूल पकड़ा तो जांच में जो तथ्य निकलकर सामने आये वह चौंकाने वाले थे। दरअसल फर्जी दस्तावेज के आधार पर बाराबंकी एआरटीओ में मुख्तार के गुर्गों ने 2013 में यह एंबुलेंस रजिस्टर्ड कराई थी। यह एंबुलेंस मुख्तार अपने निजी प्रयोग में ला रहा था।UP 41 AT 7171 रजिस्टर्ड नंबर की यह एंबुलेंस मुख्तार अंसारी शुरू से प्रयोग कर रहा था। इी मामले में एक अप्रैल को कोतवाली नगर में मऊ की संजीवनी हास्पिटल संचालिका डा. अलका राय के खिलाफ मुकदमा कराया। इसकी विवेचना में पुलिस ने मुख्तार अंसारी को भी इस मामले में साजिश और जालसाजी का आरोपी बनाया है। साथ ही अलका राय के सहयोगी डा. शेषनाथ राय, विधायक प्रतिनिधि मोहम्मद सुहैब मुजाहिद, शाहिद, आनंद यादव, राजनाथ यादव को नामजद किया था। इसमें अलका, शेषनाथ और राजनाथ को पुलिस जेल भेज चुकी है। मुख्तार अंसारी पहले से ही बांदा जेल में बंद है, जबकि कई आरोपी अभी भी फरार हैं। जिनकी तलाश में ही बाराबंकी पुलिस जगह-जगह दबिश दे रही है।