हाजी वारिस अली बाबा के शिष्य के मुताबिक बुर्जग बताते थे कि सूफी संत के जिंदा रहने के दौरान ही उनके भक्त उनको होली के दिन गुलाल और गुलाब के फूल भेंट करने के लिए आते थे। इस दौरान ही उनके साथ श्रद्धालु होली खेलते थे। वहीं मजार पर दूर-दूर से होली खेलने श्रद्धालुओं की मानें तो आज भले ही हाजी साहब दुनिया में नहीं हैं पर देश को आज भी आपसी सौहार्द की बेहद जरूरत है। इसको बनाए रखने के लिए ही वह अपने साथियों के साथ यह जश्न मनाते हैं।
लखनऊ से सूफी संत की दरगाह की दूरी वाया बाराबंकी करीब 45 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए लखनऊ के कैसरबाग से सीधी बस सेवा है। बाराबंकी से भी हर आधे घंटे पर बस सेवाएं हैं। टैंपो आदि का भी संचालन होता है। अभी इसे ट्रेन रूट से नहीं जोड़ा जा सका है।
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यहां ठहरें जायरीन
देवा में काफी संख्या में जायरीन के पहुंचने से यह देश के प्रमुख पर्यटनों स्थलों में से एक है। यहां पर्यटन विभाग की ओर से वीवीआइपी अतिथि गृह का निर्माण कराया गया था। इसे अब पर्यटक अतिथिगृह का नाम दे दिया गया है। इसके अलावा सरकारी या पर्यटन विभाग या अन्य कोई सरकारी गेस्ट हाउस नहीं है। गेस्ट हाउस और लॉज हैं। बाराबंकी में स्तरीय होटल भी हैं।