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बाराबंकी

हाईस्कूल फेल रामशरण वर्मा खेतों से उगा रहे हैं हरा सोना, कमाते हैं करोड़ों रुपए

उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे 30 किलोमीटर दूर बाराबंकी जनपद में खेतों से उगता है हरा सोना और ये सोना जमीन से उगाने वाला मामूली इंसान आज करोड़पति हैं।

बाराबंकीJul 06, 2017 / 10:42 am

नितिन श्रीवास्तव

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बाराबंकी. मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया। मंजिलें उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों में उडान होती है। इन्ही चंद शब्दों को चरितार्थ करके दिखाया है उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जनपद के मामूली पढ़े-लिखे रामशरण वर्मा ने। जिन्होंने अपने छोटे से गाव में रहकर वह कामयाबी हासिल की है, जिसका कायल आज हर वो इंसान है जिसने सपनों को सपनों तक ही सीमित रखा। हकीकत में कभी नहीं उतारा। लेकिन रामशरण वर्मा ने अपने सपनों को हकीकत में बदल दिया है। 


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खेतों से उगा रहे हैं हरा सोना

उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे 30 किलोमीटर दूर बाराबंकी जनपद में खेतों से उगता है हरा सोना और ये सोना जमीन से उगाने वाला मामूली इंसान आज करोड़पति हैं। हाईस्कूल फेल होने के बावजूद उन्होंने आज वह सब करके दिखा दिया। जिसे बड़ी-बड़ी डिग्री लेने के बाद भी लोग हासिल नहीं कर पाते। इतनी कम पढ़ाई करके मेहनत और लगन से जिंदगी में वो सब हासिल कर लिया, जिससे आज उत्तर-प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी उसका नाम प्रसिद्द हो चुका है। उन दिनों में जब किसान खेती छोड़कर अधिक लाभ के लोभ में शहरों की तरफ पलायन कर रहे थे, तो ऐसे समय में रामशरण वर्मा खेतों से हरा सोना पैदा करने का सपना देख रहे थे। यदि कोई किसान सालाना खेती के जरिये ही करोड़ों रुपये टर्नओवर की बात करें तो जरूर एक अजूबा लगता है और यही अजूबा देखने बाराबंकी के ग्राम दौलतपुर अक्सर लोग जाया करते हैं। किसानों के साथ-साथ रामशरण वर्मा से हाईटेक खेती सीखने तमाम वीआईपी हस्थिया भी उनके फार्म हाउस पर पहुंचती हैं। बीते कुछ वर्षों में प्रदेश के राजनैतिक लोग भी रामशरण वर्मा की हाईटेक एग्रीकल्चरल फार्म हाउस को देखकर दंग रह गए। रामशरण वर्मा के खेतो से हरा सोना उगते देखने की जिज्ञासा ने बीते दिनों में विदेश के किसानों को भी दौलतपुर गाव पंहुचा दिया। 


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हर दिन कुछ नया करते हैं रामशरण वर्मा

बाराबंकी मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर बसा ग्राम दौलतपुर आज कृषि जगत का एक अजूबा नजर आता है। जहां उन्नत किसान रामशरण वर्मा हाईटेक एग्रीकल्चर एवं कंसल्टेशन के माध्यम से पहले खुद खेतों में पौधों से सीखते हैं उसके बाद किसानों को खेती के नए नए गुर सिखाते हैं। रामशरण वर्मा ने खेती में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए जो रास्ता चुना, उसमें कामयाबी भी हासिल की। पर उन्हें यह नहीं पता था कि प्रदेश के हजारों किसान उन्हीं की राह चल पड़ेंगे। उनका अनुसरण करने वाले हजारों किसान प्रदेश के बहुत से जिलों में रामशरण मॉडल पर खेती कर रहे हैं और सफल हैं। मजदूरी से जीवन यापन करने वाले किसानों ने कभी सोचा न था कि वे अपने खेत के एक टुकड़े से ही समृद्ध किसान बन जाएंगे। हाईटेक खेती के गुर से रामशरन वर्मा ने प्रदेश में पांच हजार से अधिक गरीब मजदूरों को प्रगतिशील किसान बना दिया। खुद रामशरन वर्मा ने एक हेक्टेयर खेत पर पारम्परिक खेती छोड़, वर्ष 1990 में हाईटेक खेती शुरू की। नित नया करने की जिज्ञासा से दूसरे वर्ष ही टमाटर और केला की खेती अपने छह हेक्टेयर खेतों पर उन्होंने की। उत्पादन को बाजार तक पहुंचाने के साथ रामशरन का नित नए प्रयोग करना ही छोटे किसानों के लिए वरदान बन गया और आज वह करोड़ों रुपए केला, टमाटर और मेंथा से कमा रहे हैं। 


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किसानों पर रामशरण वर्मा का जादू

खेतों में पारम्परिक खेती से कभी परिवारभर के लिए अनाज नहीं पैदा हो पाता था। उन्हीं खेतों में अब हाईटेक खेती से लाखों का मुनाफा किसानों को चमत्कार से कम नहीं लग रहा है। बाराबंकी जिले का दौलतपुर गांव तो पूरी तरह हाईटेक खेती ही कर रहा है। यहां मजदूरी करने वाले किसान अब जमीनें खरीदने में लगे हैं। खुद रामशरण वर्मा 70 एकड़ जमीन पर हाईटेक खेती कर, कई करोड़ का टर्नओवर कर रहे हैं। हाईस्कूल फेल रामशरण की हाईटेक खेती पद्धति को आदर्श मान केन्द्र सरकार ने उन्हें वर्ष 2007 में जगजीवन राम राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके बाद रामशरण अपने गांव के ही ‘हाईटेक खेती गुरू’ नहीं बल्कि प्रदेश के गरीब किसानों के वैज्ञानिक बन गए। वह खेतों पर जाकर तकनीक का प्रयोग सिखाते हैं। जब उद्यान विभाग और कृषि विभाग से रामशरण वर्मा के मार्गदर्शन में खेती करने वाले किसानों की पड़ताल की गई, तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। जिले के लगभग 125 गांवों के एक हजार किसान हाईटेक खेती कर रहे हैं। जबकि प्रदेश के औसतन सभी जिलों में रामशरण वर्मा पद्धति खेती का जादू किसानों पर चल रहा है।


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