यह है पूरा मामला दरअसल, हुआ यों कि कॉलेज में प्रथम वर्ष में प्रवेशित छात्रा प्रसन्नता गरासिया दुपहिया वाहन स्टैण्ड पर बैठी थी। इसी दौरान व्याख्याता विवेक गुप्ता वहां से गुजरे तो उन्होंने प्रसन्नता की वेशभूषा व हेयर स्टाइल देख लडक़ा समझ लिया। उन्होंने प्रसन्नता को लड़का समझ कॉलेज में मौजूदगी का कारण पूछ लिया और पीठ पर एक हाथ जमा दिया। बस यहीं से बात बिगड़ी। प्रसन्नता ने अपना परिचय देते हुए कॉलेज की प्रथम वर्ष की छात्रा बताया। तब व्याख्याता बोल पड़े ‘अरे तू लडक़ी है तो लडक़ी की तरह रहा कर’।
टीसी काटने की धमकी दे दी छात्रा ने स्वयं को राष्ट्रीय स्तर की हैण्डबॉल एवं स्टेट स्तर की एथलीट बताते हुए बचपन से ही उसका पहनावा इस तरह का होने की बात कही। इसके आगे छात्रा कुछ बोलती इससे पहले ही तैश में आए व्याख्याता ने उसे टीसी काटने तक की धमकी दे दी। इस पर छात्रा व उसकी सहपाठी गुस्सा हो गईं और प्राचार्य को लिखित शिकायत की।
एक घण्टे हुई काउसंलिंग घटनाक्रम की जानकारी पर एक अन्य महिला व्याख्याता ने भी छात्रा को यूनिफार्म में आने व सलवार सूट पहने की हिदायत दी। उन्होंने कहा तुम्हारी वेशभूषा ही एेसी है कि लगता ही नहीं कि तुम छात्रा हो। इस पर प्रसन्नता व उसकी सहपाठी एक बारगी फिर गुस्सा हो गईं। मामले की जानकारी लगते ही कार्यवाहक प्राचार्य डॉ सर्वजीत दुब, व्याख्याता डॉ सीमा भारद्वाज व डॉ शिप्रा राठौड़ ने मोर्चा संभाला और करीब एक घण्टे तक छात्रा की काउंसलिंग की। उन्होंने घटना का कारण गलतफहमी बताते हुए भविष्य में एेसा नहीं होने का भरोसा दिलाया।
इसके बाद व्याख्याता गुप्ता भी पहुंचे और बताया कि छात्राओं के बीच प्रसन्नता को लडक़ा समझा इस कारण टोका था। उन्होंने भी घटनाक्रम पर अफसोस जताया। इस पर छात्रा ने भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने तथा प्राचार्य की बात पर संतुष्टि जताई तब जाकर घटनाक्रम समाप्त हुआ।