पिता टैक्सी लेकर भाडे पर निकलते तो मां भी घर में टय्शून और मसाला पैकिंग का काम करतीं। कोविड के समय से ही यश पढ़ाई में जुट गए थे और दसवीं कक्षा के साथ ही ऑनलाइन कोर्स के जरिए अपने सपनों को पूरा करने में लग गए। बेटे की मेहनत और योग्यता को माता-पिता ने पहचान और स्वयं अभावों में रहकर उसके लिए पढ़ाई के हर इंतजाम पूरे किए। ऑनलाइन कोर्स की फीस जमा करवाई, बुक्स उपलब्ध करवाई और उसका हौसला बढ़ाते रहे। परिणाम भी सुखद आए और यश ने जेईई एडवांस-2023 में एआईआर 9123वीं रैंक हासिल की।
कठिन परिस्थिति ने किया मजबूत
यश ने बताया कि परिवार की फाइनेंसियल स्थित मजबूत नहीं थी। कोविड के दौरान ऑनलाइन पढ़ना शुरू किया और रुझान बढ़ता गया। माता-पिता दिन रात मेहनत कर पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते रहे। उनकी मेहनत ने हौसला दिया। मन में प्रण किया कि उनकी यह मेहनत बेकार नहीं जाने दूंगा। इसके बाद दुगुनी ताकत के साथ पढ़ाई में जुटा। 12 से 14 घंटें तक पढ़ाई करना शुरू किया।
मां चाय, नाश्ता, खान रिडिंग टेबल पर ही दे देती थी। कुछ आराम करता और फिर माता-पिता को ख्याल करके पढ़ाई में जुट जाता। बस एक ही जुनून था कि माता-पिता का सपना पूरा करना है। लगातार मेहनत करता रहा और भगवान का शुक्र है मेरा चयन आईआईटी धनबाद-झारखंड के लिए हो गया। वहां पर एडिमशन का लेटर मिलने पर मेरी खुशी बयां नहीं कर सकता।