इसमें कलाकार लोचन उपाध्याय एवं शिल्पा उपाध्याय के निर्देशन में डॉ. रितेश जोशी, डॉ. सुमन जोशी, दीपक भट्ट, मनीष भट्ट, परमेश्वर गोस्वामी, कालिया पाटीदार, कीर्तीश मेहता, राखी वर्मा, श्वेता जोशी, कपिल डांगी, पीयूष उपाध्याय, मोनिका सुथार, मेघा जोशी, नरेन्द्र रानावत, गौतम सुबा, मयंक रावल, सुरभि पंड्या, जेनील पंड्या, प्रियेश टेलर, चिराग कलाल, अनंत पंचाल, जमील पठान आदि कलाकारों के अलावा विद्यार्थियों एवं अभिभावकों ने रंगों के माध्यम से मेघों को रिझाया ओर निमंत्रण दिया। साथ ही बीजणी के जरिए उजाले की ओर कला एवं प्रकृति जागरूकता का संदेश भी दिया।
अच्छा… तो इस विशेष कारण से वागड़ में 15 दिनों बाद शुरू होता है पवित्र सावन माह नौनिहालों ने उकेरी कल्पनाएं
कार्यक्रम में नौनिहनलों ने उत्साह से भाग लिया और बीजणी पर चित्रकारी कर अपनी भावनाओं को उकेरा। बच्चों ने बांस से बनी बीजणी को पहली बार देखा और इसकी महत्ता को नजदीक से जाना।
एकमात्र सहारा थी बीजणी
संस्थान सचिव यतीन उपाघ्याय ने बताया कि पूर्व के समय में विद्युत व्यवस्था के अभाव में ग्रामीण अंचल में गर्मी के दिनों में हवा के लिए बीजणी का उपयोग करते थे। वागड़ में बीजणी को बांस से बनाया जाता था। आधुनिकता के इस दौर में हम पुरानी वस्तुओं का उपयोग करना भूल गए, जो कभी पर्यावरण का हिस्सा रही हैं।
सम्मानित किया
संस्था प्रधान दीप्ति उपाध्याय ने बताया कि कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कलाकारों, विद्यार्थियों, मीडियाकर्मी, स्टाफकर्मी एवं अभिभावकों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।