लहर कक्ष की पढ़ाई में खासकर उच्चारण पर ज्यादा जोर दिया जाता था और उस फंडे से बच्चों को जोर नहीं आता था। बच्चे आसानी से कुछ ऐसे शब्दों का उच्चारण सही बोलना सीख जाते थे और भविष्य में उनके लिए आसानी होती थी, लेकिन अब स्कूलों में इस पर ज्यादा ध्यान देने की बजाय शिक्षक कागजी कार्रवाई पर उलझे रहते है। बच्चे पढ़े या नहीं, लेकिन विभाग ने कागजी कार्रवाई शिक्षकों के ऊपर इतनी थोप दी है कि वह बमुश्किल ही बच्चों को पढ़ा पाता है। खासकर बच्चो ‘ च ’ ‘ छ ’ ‘ क्ष ’ ‘ ज्ञ ’ आदि का उच्चारण बार बार कराया जाता था। खास बात तो यह कि नौनिहाल अंग्रेजी के 26 अक्षर खुलकर बोल लेता है, लेकिन उसे हिंदी की वर्णमाला पूछी जाए तो वह नहीं बोल पाता है, भले ही किताब पढ़ लेगा, लेकिन बोलने में हिचकिचाएगा।