अभावों में पढ़ रहा भारत का भविष्य : पहली से 12वीं तक के स्कूल में सिर्फ चार कमरे, पेड़ तले बैठकर पढऩे को मजबूर विद्यार्थी
गंागड़तलाई/बांसवाड़ा. शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान का नंबर भले ही दूसरे पर आया हो, लेकिन हकीकत तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के बैठने के लिए कमरे तक नहीं है। राजकीय उमावि खुंटी नारजी स्कूल में कक्षा एक से 12 तक के बच्चों के बैठने के लिए महज चार ही कमरें है। पूरी स्कूल में पांच कमरे है और इसमें से एक कक्ष का उपयोग स्टॉफ और प्रधानाचार्य के लिए है। खास बात तो है कि इन चार कमरों में कक्षा नौ से 12 तक की कक्षाएं लगाई जाती है, बाकी आठवीं तक के बच्चे पेड़ और बरामदे में लगती है। गौरतलब है कि उक्त विद्यालय 2015 में क्रमोन्नत हुआ था, लेकिन अब तक निर्माण कार्य पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया है। संस्थाप्रधान नाथूलाल ने बताया कि स्कूल की परेशानी को कई बार विभाग को अवगत कराया है। जबकि स्कूल का रिजल्ट बेहतर है और बीते वर्ष में 12वीं का शत प्रतिशत और 10वीं का 75 प्रतिशत रहा है।