इसके बाद हाल ही बांसवाड़ा दौरे पर आए पीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा ने अतिरिक्त मुख्य अभियंता हरिकेश मीणा, अधीक्षण अभियंता मुनीमचंद मीणा और गढ़ी के अधिशासी अभियंता महेंद्र मीणा के साथ पहुंचकर मौके पर पुल की स्थिति देखी तो दंग रह गए। चूंकि इसके लिए पैसा केंद्र सरकार से आया और पसरी परियोजनाओं पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नजर गडऩी शुरू की है, लिहाजा अब यह मामला कार्यकारी एजेंसी पीडब्ल्यूडी के लिए गलफांस बन गया है। फिलहाल विभाग भी संकट में है कि इस मामले में आगे क्या करे और क्या नहीं। इस पुल को बनाने वाली दोनों ठेका फर्म फेल होने के बाद विशेषज्ञों ने मौजूदा काम अनुपयोगी बताया और नए सिरे से पूरा निर्माण कराने की सिफारिश की। फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से इसी पुल के लिए 37 करोड़ के अतिरिक्त बजट का ऐलान भी किया गया, लेकिन मंजूरी एक धेले की नहीं हुई और चुनाव में सरकार ही बदल गई। ऐसे में करोड़ों पानी में बह गए और क्षेत्र को कुछ नहीं मिला।
‘मैं इस क्षेत्र में नया हूं। उससे पहले पुल का अधूरा निर्माण विशेषज्ञों ने असुरक्षित बताया तो दूसरा ठेका दिया गया। वह भी काम छोड़ गई। थर्ड पार्टी ऑडिट चल रहा है। अब दूसरी फर्म को भी ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। आगे नया निर्माण कब होगा, यह उच्चस्तर से तय होगा।-महेंद्र मीणा, अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी गढ़ी
दूसरा भी फेल, नतीजा शून्य
मामले में चौंकाने वाला तथ्य यह कि जब जीडीसीएल के शुरुआती निर्माण को विशेषज्ञों ने जांच में घटिया और असुरक्षित करार दिया तो दूसरा टेंडर गुजरात की मैसर्स एनर्जी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को 22 करोड़ 99 लाख 88 हजार 444 रुपए में मंजूर कर दिया गया। यह टेंडर बीएसआर दर से 24.45 प्रतिशत ज्यादा रहा। फिर उसने भी काम सही नहीं किया और साथ छोड़ गया। इससे नतीजा शून्य हो गया। इस बीच, निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की भी लापरवाही रही, लेकिन अब तक किसी को जिम्मेदार नहीं माना गया।
यों चला सिलसिला और पहला संवेदक ब्लैकलिस्टेड
विभागीय सूत्रों ने बताया कि 20 करोड़ की शुरुआती लागत के पुल निर्माण का पहला टेंडर मैसर्स गेनन डंकल कंस्ट्रक्शन कंपनी (जीडीसीएल) को दिया गया, जिसने घोर लापरवाही की। यहां 37.20 मीटर आकार के 9 स्पान बनाने थे, लेकिन मौके पर मात्र 5 पिल्लर बनाए गए। इनमें भी पिल्लर नंबर 2, 3 और 4 टेढ़े हो गए। आखिर विभाग ने जांच करवाकर कर 2020 में ठेका निरस्त कर जीडीसीएल को काली सूची में डाला। फिर लागत बढ़कर करीब 23 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। दूसरा टेंडर 22.99 लाख में दिया गया, लेकिन उसने भी ठीक से काम नहीं किया।
फैक्ट फाइल
पुल की शुरुआती लागत- 20 करोड़ रुपए लोकेशन- अनास नदी पर नाहली, भतार और भवानपुरा गांव के बीच शुरुआत- 6 अगस्त, 2012 पहला टेंडर- 9.15 करोड़ रुपए भुगतान
दूसरा टेंडर- 22.99 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट – 37 करोड़ की घोषणा पर दिया कुछ नहीं मौजूदा काम- अनुपयोगी