उन्होंने कहा कि यही अनमोल पल है। जिन सांसों में अरिहंत को सुनते हुए बसाते हैं। हम सभी जिनवाणी के साथ-साथ सत्य धर्म से जुड़ी गाथा यानी सत्य युग की जीवन गाथा को आज कलयुग में सुन रहे हैं। सुनते सुनते भी यदि श्रद्धालु के भाव में प्रवीणता एवं अनुमोदन के पल आ जाएं तो इन पलों में सम्यकत्व की उपार्जना की जा सकती है।
रविंद्र मुनि के मंगलाचरण से आरंभ प्रवचन सभा में रमणीक मुनि ने ओंकार का सामूहिक उच्चारण कराया। ऋषि मुनि ने उत्तराध्ययन सूत्र के मूल पाठ गीतिका का वाचन किया। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की। महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि ८ नवम्बर को उत्तराध्ययन सूत्रवाचना की पूर्णाहुति होगी तथा बाद में दीपावली महामांगलिक प्रदान की जाएगी। मार्गदर्शक संपतराज धारीवाल ने बताया कि सभा में उपनगरीय संघों से श्रद्धालु मौजूद रहे।
गैर कन्नड़ भाषी संगठनों की कन्नड़ साहित्य सेवा सराहनीय
बेंगलूरु. कन्नड़ भाषा संस्कृति के प्रचार-प्रसार में कन्नड़ संगठनों के साथ-साथ राज्य के गैर कन्नड़ भाषी संगठनों ने जो योगदान दिया है वह सराहनीय है। कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रो. एस.जी. सिद्धरामय्या ने यह बात कही।
मंगलवार को उन्होंने कहा कि गैर कन्नड़ भाषी संगठन भाषा के विकास में योगदान देनेवालों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित कर रहे हैं, साथ में कन्नड़ की कक्षाएं भी चला रहे हैं। कई संगठन कन्नड़ साहित्य का अनुवाद कर कन्नड़ साहित्य का प्रचार कर रहे हैं। इसलिए ऐसे संगठनों की यह कन्नड़ साहित्य की सेवा अनुकरणीय है।
ऐसा कार्य करनेवाले गैर कन्नड़ भाषी संगठनों की सूची में तेलगु विज्ञान समिति, कर्नाटक तेलगु अकादमी, एचएएल कन्नड़ संघ, बीइएमएल कन्नड़ संघ, बीएचइएल कन्नड़ संघ, माइको कन्नड़ संघ, कन्नड़ तमिल संघ, कैकाल संघ, ईस्टर्न कल्चर एसोसिएशन, कर्नाटक केरल सौहार्द्र समिति जैसे संगठन शामिल हैं। शहर में इन संगठनों के 3500 से अधिक सदस्य कन्नड़ भाषा की साहित्य सेवा कर रहे हैं। इन संगठनों की ओर से विचार संगोष्ठियां, प्रतिभा पुरस्कार वितरण, संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
ऐसे संगठनों के प्रयासों के कारण शहर मे कन्नड़ भाषी तथा गैर कन्नड़ भाषियों के बीच निरंतर संवाद संभव हो रहा है। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में कन्नड़ भाषा का अस्तित्व बरकरार रखने में इन संगठनों ने महती भूमिका अदा की है। एचएएल कन्नड़ संघ गैर कन्नड़ भाषियों के लिए गत 16 वर्षों से कन्नड़ कक्षाएं चला रहा है।
अभी तक इन कक्षाओं में 6 00 से अधिक गैर कन्नड़ भाषियों को कन्नड़ भाषा सिखाई गई है। इन संगठनों की ओर से कन्नड़ भाषा की श्रेष्ठ साहित्य कृतियों का नि:शुल्क वितरण किया जा रहा है। एचएएल कन्नड़ संगठन की ओर से साहित्यकार डॉ.चिदानंद मूर्ति की दो हजार पुस्तकों का वितरण किया गया है।