विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के पे-लोड कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर आर्बिटर प्लांट स्टडीज (क्रॉप्स) में लोबिया के बीजों को रखा गया था जिसमें ये प्रस्फुटित हुए और दो पत्तियां भी निकलीं। दरअसल, यह 300 मिमी व्यास और 450 मिमी ऊंचाई वाला एक एयरटाइट कंटेनर है जो गुरुत्वाकर्षण को छोडक़र बिल्कुल धरती जैसी परिस्थितियां सृजित करता है। इसमें बीज को अपनी जड़ें फैलाने के लिए चिकनी मिट्टी की गोलियां रखी गईं ताकि, वह पानी अवशोषित भी करे और नमी भी बनाए रखे। रोगाणुओं या कवकों से बचाने के लिए जिस पात्र में मिट्टी रखे गए उसका तापमान बढ़ाकर नियंत्रित किया गया। पौधे में समय-समय पर पोषक तत्व भी डाले गए। मिट्टी को चार चैम्बर में कसकर पैक किया गया था और सिलिकॉन परत से ढंक दिया गया था। प्रत्येक बीज को पॉलीप्रोपिलीन टिश्यू पर एक कार्बनिक गोंद से चिपकाया गया था। यह गोंद बीज को तब तक मजबूती से पकड़े रखता है जब तक कि वह पानी से गीला न हो जाए। संदूषण से बचाने के लिए चिपकाने से पहले बीज को इथेनॉल का उपयोग करके अच्छी तरह से कीटाणुरहित किया गया था। मिशन लांच करने के दौरान उच्च कंपन (झटकों) से बचाने और बीज को स्थिर करने का यह तंत्र काफी मददगार है।
इसरो ने कहा है कि, पीएसएलवी सी-60 से स्पेडेक्स मिशन लांच करने के बाद पीओईएम-4 को धरती की 350 किमी वाली कक्षा में लाया गया। इसमें डेढ़ घंटे से अधिक का समय लगा। सबकुछ सामान्य होने के बाद क्रॉप्स-1 पेलोड को चालू किया गया। सभी सिस्टम पैरामीटर सामान्य पाए गए और तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच ठीक से नियंत्रित किया गया। लगभग 90 मिनट के बाद जमीन से इलेक्ट्रिक वाल्व का संचालन करके मिट्टी में पानी का प्रवाह किया गया। पौधे के लिए दिन और रात की स्थितियों का अनुकरण करते हुए 16 घंटे लाइट चालू किया गया और 8 घंटे के लिए बंद रखा गया। कंटेनर के भीतर 20.9 प्रतिशत ऑक्सीजन, 400-500 पीपीएम कार्बन डाईऑक्साइड, 50 से 60 फीसदी आद्र्रता और 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक तापमान नियंत्रित किया गया।