इसके अलावा जीएसएलवी के दो मिशन लांच किए जाएंगे। जीएसएलवी एफ-15 से नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 का प्रक्षेपण किया जाएगा जो 100 वां लांच मिशन भी होगा। यह नविगेशन प्रणाली नाविक को मजबूती प्रदान करेगा। इस उपग्रह में स्वदेशी परमाणु घडिय़ों का प्रयोग किया गया है। यह मिशन इसी महीने लांच करने की योजना है। अगला मिशन फरवरी में जीएसएलवी एफ-16 है। इससे नासा और इसरो के संयुक्त सिंथेटिक अपर्चर राडार (निसार) उपग्रह लांच किया जाएगा। उन्नत राडार तकनीक से लैस यह उत्कृष्ट श्रेणी उपग्रह है जो कृषि, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु निगरानी पर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा।
मार्च महीने में एलवीएम-3 एम-5 की वाणिज्यिक उड़ान होगी। इस मिशन के लिए भारतीय अंतरिक्ष कंपनी एन-सिल ने अमरीकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के साथ करार किया है। करार के तहत इसरो ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 के उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यह वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में इसरो के बढ़ते कद को रेखांकित करता है। जितेंद्र सिंह ने नवाचार को बढ़ावा देने और अंतरिक्ष में भारत की स्थिति को आगे बढ़ाने में इसरो की प्रगति की सराहना की। उन्होंने देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा देने में सार्वजनिक-निजी सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
इस दौरान डॉ. एस. सोमनाथ ने अपने कार्यकाल के दौरान हुई प्रगति का उल्लेख किया और भविष्य के मिशनों में सफलता के प्रति विश्वास जताया। वहीं, नव नियुक्त अध्यक्ष डॉ वी.नारायण ने इसरो के विस्तार और वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष एजेंसी को अग्रणी बनाए रखने के लिए अपनी रणनीति की एक रूपरेखा प्रस्तुत की।