रात के समय हुई झमाझम बारिश के कारण झुग्गियों में पानी भर गया, जिससे लोग अपने घरों से बाहर निकलने को विवश हो गए। जबकि बृहत बेंगलूरु महानगर पालिक (बीबीएमपी), बेंगलूरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) और राज्य आपदा बचाव बल (एसडीआरएफ) को महादेवपुरा में टेक कॉरिडोर और अपस्केल लेआउट में सक्रिय देखा गया लेकिन गरीब मजदूरों की मदद करने कोई नहीं आया।
तेज बरसात के कारण घर में खाना नहीं बन सका और हजारों लोग बिना किसी सहायता के भूखे सो गए थे। हालांकि, स्थानीय गैर-लाभकारी संगठन और कार्यकर्ताओं ने उन्हें भोजन मुहैया कराने की कोशिश की।
निवासियों का कहना है कि बाढ़ से खुद को बचाने के लिए उन्हें घरेलू सामान और क़ीमती सामान लेकर कमर के गहरे तक पानी से होकर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। परिवारों ने पूरी रात बरसते आसमान के नीचे प्लास्टिक से अपने शरीर को बारिश से बचाते हुए गुजारी। मलिन बस्तियों में 1,570 घर हैं।
मुन्नेकोललू के निवासी नागप्पा ने कहा कि तीन घंटे तक लगातार बारिश के बाद रात करीब 11 बजे पानी घरों में घुसने लगा। सांपों के डर से लोग तेज बरसात और बाढ़ जैसे हालात के बाद भी पास के किसी सुरक्षित स्थान पर जाने लगे। कई परिवारों का राशन और कपड़े भी बरसात में नष्ट हो गए। महिलाओं और बच्चों को कई घंटों तक बिना भोजन-पानी के गुजारना पड़ा। सरकार की तरफ से कोई भी मदद करने नहीं आया।