गुरुवार को मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अंतरिम आवेदन दायर करने का निर्णय लिया, जिसमें 1996 के अधिनियम की वैधता पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई, जिसके तहत बेंगलूरु को राज्य सरकार के पास भेजा गया था।
सरकार ने पूर्ववर्ती मैसूर राजपरिवार के सदस्यों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने का भी निर्णय लिया है, जिन्होंने 2001 में सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का उल्लंघन करते हुए महल परिसर में अनाधिकृत संरचनाओं का निर्माण किया था।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के 21 दिसंबर, 2024 के आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें राज्य सरकार को सड़कों के चौड़ीकरण के लिए बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) की ओर से अधिग्रहित पैलेस ग्राउंड की 15 एकड़ और 17 गुंटा भूमि के लिए पूर्ववर्ती मैसूरु शाही परिवार के कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) प्रमाण पत्र के रूप में 3,011 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।
इस बीच, 2006 में बीबीएमपी ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए मालिकों को टीडीआर प्रदान करके बल्लारी रोड और जयमहल रोड से सटे पैलेस ग्राउंड की 15 एकड़ और 17 गुंटा भूमि अधिग्रहित करने का फैसला किया। लेकिन 2016 में परियोजना को छोड़ दिया गया। इसके बाद पूर्व शाही परिवार ने फिर शीर्ष अदालत में अपील की तो तब राज्य सरकार ने परियोजना को लेकर रूख साफ किया।
बैठक के फैसले के बारे में बताते हुए कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि जब तक बेंगलूरु पैलेस (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1996 की वैधता पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक टीडीआर का भुगतान करने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए कैबिनेट ने अधिनियम की वैधता को बरकरार रखने के लिए राज्य सरकार की याचिका का शीघ्र निपटान करने का फैसला किया।
अधिनियम के माध्यम से कर्नाटक सरकार ने 1996 में पैलेस ग्राउंड को सार्वजनिक उपयोग के लिए संरक्षित करने के लिए इसका स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया। पूर्व शाही परिवार के सदस्यों ने उच्च न्यायालय अधिनियम को चुनौती दी मगर अदालत ने अधिनियम को बरकरार रखा। इसके बाद पूर्व शाही परिवार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। तब से 472 एकड़ भूमि के स्वामित्व से जुड़ा यह मामला शीर्ष अदालत में लंबित है। जयमहल और बल्लारी सड़कों से सटे बेंगलूरु पैलेस की 15 एकड़ और 17.5 गुंटा भूमि के अधिग्रहण के लिए टीडीआर के रूप में 3,011.66 करोड़ रुपए का मुआवजा अनुमानित है।
यह गणना न्यायालय के अधिकारियों को आस-पास के क्षेत्रों के मार्गदर्शन मूल्य पर विचार करने के निर्देश के बाद की गई। पिछले साल दिसम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को छह सप्ताह के भीतर वर्तमान बाजार मूल्य पर टीडीआर जारी करने का निर्देश दिया था। जयमहल और बल्लारी रोड से सटे महल की जमीन के लिए यह राशि 2.83 लाख रुपए प्रति वर्ग मीटर तय की गई, जो कुल मिलाकर 3011 करोड़ रुपए थी।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अवमानना
बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 2001 के आदेश में निर्देश दिया था कि स्वामित्व मामले के निपटारे तक पैलेस ग्राउंड के परिसर में कोई संरचना नहीं बनाई जानी चाहिए। लेकिन, दो लाख वर्ग मीटर से अधिक की भूमि पर कई स्थायी संरचनाएं बन गई हैं। इसलिए, मंत्रिमंडल ने पूर्व शाही परिवार के सदस्यों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अवमानना याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। सरकार ने 9 जनवरी, 2025 को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें 15 दिनों के भीतर पैलेस मैदान में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया है। निर्माणों ने 2001 में सर्वोच्च न्यायालय के यथास्थिति के आदेश का उल्लंघन किया है। सरकार ने पैलेस मैदान पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं देने का निर्णय लिया है।