नामांकन में वृद्धि सरकार ने सरकारी स्कूलों को मजबूत बनाने और नामांकन बढ़ाने के लिए राज्य भर में कुल 286 केपीएस शुरू किए हैं। सरकार का उद्देश्य प्री-प्राइमरी (एलकेजी) से लेकर कक्षा 12 तक की शिक्षा एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराना है। सभी केपीएस में द्विभाषी कक्षाएं संचालित की जा रही हैं और छात्रों के नामांकन में भी वृद्धि हुई है।
इंतजार करना चाहिए एसइपी आयोग के सदस्य निरंजन आराध्य वी.पी. ने कहा कि सरकार के इस तरह के फैसलों के पीछे के तर्क उनकी समझ से बाहर हैं। कर्नाटक राज्य शिक्षा नीति तैयार करने के लिए एक आयोग का गठन किया गया है और आयोग इस पर काम कर रहा है। नीति में स्वाभाविक रूप से सीखने के माध्यम का सवाल शामिल है, और योग्यता स्तर तक किसी भी अन्य दूसरी भाषा/भाषाओं को सीखना भी शामिल है। लेकिन, सरकार और डीएसइएल को नीति प्रस्तुत किए जाने तक इंतजार करना चाहिए।
आराध्य ने बताया कि वर्तमान में कर्नाटक में 46,757 सरकारी प्राथमिक और उच्च विद्यालय हैं, जिनमें कुल 42,92,351 छात्र हैं। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों, सरकारी उर्दू विद्यालयों और केपीएस में अंग्रेजी माध्यम वाले कुल 2,686 द्विभाषी विद्यालय हैं। 2024-25 में, सरकार ने पहले ही 1,419 सरकारी विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम के सेक्शन शुरू कर दिए हैं। इनमें कल्याण कर्नाटक के 872 सरकारी विद्यालय शामिल हैं। अब इसमें 93 केपीएस और जुड़ जाएंगे।
शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूलों में द्विभाषी वर्ग शिक्षकों की कमी की समस्या से जूझ रहा है और कुल 11,124 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 7,276 शिक्षक ही काम कर रहे हैं। इसलिए, शिक्षकों की कमी को दूर किए बिना या मौजूदा शिक्षकों को अंग्रेजी पढ़ाने का व्यापक प्रशिक्षण दिए बिना अंग्रेजी माध्यम का स्कूल शुरू करना सही नहीं है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति जल्द होगी।