बैठक में मठ प्रमुखों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ भी नाराजगी जताई। परिषद की बैठक में शाह के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया। माते महादेवी ने कहा कि संघ लोगों को भ्रमित कर रहा है कि हम देश विरोधी ताकतों से धन लेकर अलग धर्म की मांग कर रहे हैं। वे लोग हम पर देश और हिंदू धर्म को तोडऩे की कोशिश का आरोप लगा रहे हैं। जब जैन, सिख और बौद्ध अलग धर्म के बावजूद हिंदू हैं तो हमें हमारी मांग को हिंदू विरोधी कहना अतार्किक है। हम भी हिंदुत्व का हिस्सा हैं लेकिन हमारा धर्म लिंगायत है। उन्होंने कहा कि शाह ने वीरशैव समुदाय मठ के प्रमुखों के साथ बैठक में लिंगायत को अलग धर्म के तौर पर मान्यता नहीं देने का वादा कर हमारे साथ विश्वासघात किया है। किसी संवैधानिक पद पर नहीं होने के कारण शाह को ऐसा वादा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की सिफारिश को ठुकराया को परिषद इसे अदालत में चुनौती देगी।
हाल के वर्षों में यह पहला मौका है जब मठ प्रमुख किसी पार्टी के पक्ष में खुलकर समर्थन में आए हैं। इसका अगले चुनाव पर काफी असर पड़ सकता है। लिंगायतों की आबादी करीब १७ फीसदी है और ये १०० विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावी स्थिति में हैं। इस समुदाय को भाजपा का समर्थक माना जाता रहा है। भाजपा ने लिंगायत समुदाय से होने के कारण ही पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येड्डियूरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।