scriptवर्टिकल लैंड करने वाले री-यूजेबल रॉकेट का विकास कर रहा है इसरो | Patrika News
बैंगलोर

वर्टिकल लैंड करने वाले री-यूजेबल रॉकेट का विकास कर रहा है इसरो

अगले साल पहला परीक्षण संभव, मंगल पर भी लैंडिंग की योजना
इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने एक शिक्षक की तरह किया छात्रों का मार्गदर्शन

बैंगलोरJan 05, 2025 / 08:13 pm

Rajeev Mishra

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी ऐसे री-यूजेबल लांच व्हीकल (पुन: उपयोग में लाए जाने वाले प्रक्षेपणयान) का विकास कर रहा है जो उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के बाद वर्टिकल अपने पैरों पर लैंड करेंगे। अमूमन अमरीकी कंपनी स्पेसएक्स के मिशन में यह देखने को मिलता है।
इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने यहां शनिवार को राष्ट्रोत्थान विद्या केंद्र की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों के सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि, इसरो ने चित्रदुर्ग स्थित चल्लकेरे एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में री-यूजेबल लांच व्हीकल (आरएलवी पुष्पक) के तीन लैंडिंग परीक्षण पूरे कर लिए हैं। यह री-यूजेबल व्हीकल विंग वाला था। लेकिन, अब एक ऐसे री-यूजेबल लांच व्हीकल के विकास पर काम चल रहा है जो मिशन पूरा करने के बाद अपने पैरों (लेग्स) पर सीधा (वर्टिकली, पेंसिल शेप में) लैंड करेगा। इसके लिए नए थ्रोटल इंजन की आवश्यकता है जिसका विकास किया जा रहा है। उम्मीद है कि, यह रॉकेट अगले 5-6 साल में तैयार होगा। इसका परीक्षण अगले साल तक होने की उम्मीद है।
चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर गुजारेंगे 100 दिन
इसरो अध्यक्ष ने छात्रों के कई सवालों के जवाब दिए और एक शिक्षक की तरह उनका मार्गदर्शन भी किया। उन्होंने भावी पीढ़ी को इसरो में शामिल होने और चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहद प्रभावशाली तरीके से प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने इसरो की भविष्य की परियोजनाओं के बारे में कई अहम जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि, चंद्रयान-4 मिशन में इसरो चंद्रमा की धरती से नमूने वापस लाएगा। वहीं, चंद्रयान-5 मिशन में ठीक चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर लैंड करेंगे और वहां 100 दिन गुजारेंगे। इसरो अध्यक्ष ने यह भी बताया कि, शुक्र ही नहीं इसरो मंगल पर भी दूसरा मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। मंगल मिशन को अभी सरकार से मंजूरी मिलना बाकी है। लेकिन, दूसरे मिशन के दौरान मंगल पर लैंडिंग होगी। मंगल पर लैंड करना आसान नहीं है क्योंकि, वहां वातावरण है जो एक बड़ी चुनौती पेश करता है।
अध्यात्म और विज्ञान में कोई विरोधाभास नहीं
आस्था और विज्ञान के विरोधाभास पर एक छात्रा की जिज्ञासा शांत करते हुए इसरो अध्यक्ष ने कहा कि, यह सवाल केवल गलतफहमी के कारण बार-बार पूछे जाते हैं। विज्ञान किसी चीज में विश्वास करने के बजाय सवाल पूछता है और उसका जवाब ढूंढता है। अध्यात्म में भी यहीं होता है। हमारी संस्कृति में यह नहीं कहा जाता कि, भगवान पर विश्वास करना है। यह पश्चिमी अवधारणा हो सकती है। हम भगवान पर विश्वास नहीं करते बल्कि, भगवान को महसूस करते हैं। विज्ञान और अध्यात्म में हमारे यहां कोई विरोधाभास नहीं है। वह खुद के बारे में कह सकते हैं कि, एक वैज्ञानिक हैं जो अध्यात्म में विश्वास करते हैं।
देश में है प्रचूर प्रतिभा, ब्रेन-ड्रेन समस्या नहीं
ब्रेन-ड्रेन को लेकर एक छात्र के सवाल पर सोमनाथ ने कहा कि, यह कोई समस्या नहीं है। हमारे देश में प्रचूर प्रतिभा है। उन्होंने छात्र का हौसला बढ़ाते हुए सवालिया लहजे में पूछा कि, आपसे अधिक प्रतिभावान कौन हो सकता है? जो देश छोडक़र बाहर गए उनका एक लक्ष्य था। लेकिन, जो विदेश नहीं गए वे किसी मायने में कम नहीं है। इसरो में हजारों लोग काम करते हैं जो बेहद तीक्ष्ण और प्रतिभावान हैं। वह खुद विदेश नहीं गए। देश की 140 करोड़ की आबादी में 20 फीसदी से अधिक युवा हैं जिनमें प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। हां, बुनियादी ढांचों का निर्माण होना चाहिए ताकि, देश के निर्माण के लिए वे अपने मन मुताबिक काम कर सकें।
क्या कोई मां बता सकती है मां होने का अहसास!
यह पूछे जाने पर कि, इसरो में उनके सामने कई चुनौतियां आई होंगी। क्या उसके अनुभव के बारे में बता सकते हैं? इसरो अध्यक्ष ने एक भावुक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि, इसे महसूस करने के लिए उन्हें इसरो में आना पड़ेगा। जो चुनौतियां पेश आती हैं वे शब्दों में कह सकते हैं लेकिन, उन भावनाओं के साथ न्याय नहीं हो पाएगा? क्या आप अपनी मां से यह पूछ सकते हैं कि, मां होने का अहसास कैसा है? क्या कोई मां यह शब्दों में बयां कर सकती है? यह असंभव है। यहां भी कुछ वैसा ही है। इसेे बयां करना मुश्किल है। अगर यह महसूस करना है तो इसरो ज्वाइन करें।
पीएम मोदी ने परखा व्योममित्रा को
इसरो अध्यक्ष ने गगनयान मिशन के साथ भेजे जाने वाले रोबोट व्योममित्रा को लेकर एक किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा कि, व्योममित्रा एआइ (कृत्रिम बुद्धिमता) से विकसित की गई है। शब्दों में निर्देश देने पर काम करती है। पीएम मोदी जब निरीक्षण के लिए आए तो उन्होंने व्योम मित्रा को अपने लहजे में निर्देश देना शुरू किया। व्योममित्रा में 10 सवालों के निर्देश पालन की प्रोग्रामिंग की गई थी। लेकिन, दक्षिण भारतीय हिंदी का लहजा थोड़ा अलग है और पीएम मोदी का लहजा अलग। पीएम मोदी ने सवालों को उलट-पुलटकर निर्देश देना शुरू किया। जैसे पहले उन्होंने 8 वें नंबर पर सूचीबद्ध निर्देश दिया और उसके बाद दूसरा। लेकिन, व्योम मित्रा ने उनके सभी निर्देशों का ठीक तरीके से पालन किया और बहुत मुश्किल से संतुष्ट होने वाले प्रधानमंत्री को सराहना करनी पड़ी।

Hindi News / Bangalore / वर्टिकल लैंड करने वाले री-यूजेबल रॉकेट का विकास कर रहा है इसरो

ट्रेंडिंग वीडियो