यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों का यह एक मठ है। यहां भट्टारक की गद्दी है, जिसे भट्टारक देवेंद्र कीर्ति के नाम से जाना जाता है। यहां जो भी व्यक्ति भट्टारक बनकर बैठता है, उन्हें देवेंद्र कीर्ति के नाम से ही जाना जाता है।
भट्टारक समस्त क्षेत्र की व्यवस्था का प्रबन्धन करवाते हैं। साथ ही अनुष्ठान, धार्मिक कार्य और समारोह उन्हीं के सानिध्य में आयोजित होते हैं। होम्बुज में भगवान पाश्र्वनाथ की यक्षणी मां पद्मावती का मंदिर है।
माता की भक्ति और शक्ति का ही प्रताप है कि इस राजवंश को चाकल देवी, कालल देवी और शासन देवी आदि जैसी कई शक्तिशाली महिला शासक मिलीं। होम्बुज की गुरुपरंपरा कुन्दकुन्दानवयांतर्गत नंदी संघ से संबंधित है।
सातवीं सदी में उत्तर मथुरा के उग्रवंशी जिनदत्त राय ने होम्बुज में अपने राज्य की स्थापना की थी। यह राजा जैन धर्मावलम्बी और यक्षणी पद्मावती देवी के परम भक्त थे। यहां पर कुल दस मंदिर हैं, परन्तु मुख्य मंदिर अतिशय पद्मावती जैन मंदिर है, जो भगवान पाश्र्वनाथ मंदिर के साथ स्थित है।