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बैंगलोर

मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच बने हाई स्पीड रेल कॉरीडोर

केन्द्रीय सडक़ परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच 14 लेन एक्सप्रेस वे बनाने की घोषणा के बाद अब मुंबई-पुणे-बेंगलूरुहाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की मांग उठने लगी है। मुंबई-बेंगलूरु के बीच रेल से यात्रा करने पर वर्तमान में 24 से 25 घंटा समय लगता है। जबकि निजी एवं सरकारी बसों से यात्रा करने में मात्र 16 से 17 घंटे का समय लगता है। यदि रेल मंत्रालय मुंबई-पुणे-बेंगलूरु रेल मार्ग की भी सुध ले तो ये सरकार के लिए फायदे का सौदा होगा, वहीं हर वर्ग को आराम की सवारी मिल सकेगी। एक तरफ मुंबई जहां देश की आर्थिक राजधानी है वहीं बेंगलूरु आई टी की राजधानी कहा जाता है। ऐसे में दोनों शहरों के बीच परस्पर द्रुतगामी रेल सेवा की बहुत जरूरत है।

बैंगलोरOct 06, 2024 / 07:19 pm

Yogesh Sharma

कर्नाटक के उद्योग मंत्री भी कर चुके हैं मांग

बेंगलूरु. केन्द्रीय सडक़ परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच 14 लेन एक्सप्रेस वे बनाने की घोषणा के बाद अब मुंबई-पुणे-बेंगलूरुहाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की मांग उठने लगी है। मुंबई-बेंगलूरु के बीच रेल से यात्रा करने पर वर्तमान में 24 से 25 घंटा समय लगता है। जबकि निजी एवं सरकारी बसों से यात्रा करने में मात्र 16 से 17 घंटे का समय लगता है। यदि रेल मंत्रालय मुंबई-पुणे-बेंगलूरु रेल मार्ग की भी सुध ले तो ये सरकार के लिए फायदे का सौदा होगा, वहीं हर वर्ग को आराम की सवारी मिल सकेगी। एक तरफ मुंबई जहां देश की आर्थिक राजधानी है वहीं बेंगलूरु आई टी की राजधानी कहा जाता है। ऐसे में दोनों शहरों के बीच परस्पर द्रुतगामी रेल सेवा की बहुत जरूरत है। कर्नाटक के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री एम.बी.पाटिल मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट शुरू होने पर कर्नाटक प्रदेश के लोगों के साथ पर्यटन, उद्योग, व्यापार में परस्पर लाभ होगा। रेल राज्य मंत्री वी. सोमण्णा के कर्नाटक से होने के कारण वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री एम.बी.पाटिल की मांग को बल मिल सकता है।
ट्रेड एक्टिविस्ट सज्जनराज मेहता ने कहा कि केन्द्रीय सडक़ परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही 14 लेन वाले मुंबई-पुणे-बेंगलूरु नए मार्ग की घोषणा की है। इस परियोजना के पूर्ण होने पर मुंबई-पुणे-बेंगलूरु की दूरी मात्र 14 से 15 घंटे की रह जाएगी। यदि केंद्रीय रेल मंत्री भी इसे संज्ञान लेकर देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई और देश की आईटी राजधानी बेंगलूरु के मध्य अभी जो 24 से 25 घंटे की लगभग यात्रा हैं, उसे 14-15 घंटे में तब्दील करने के लिए मशक्कत करते हैं तो ये सोने पर सुहागा होगा। वंदे भारत और राजधानी एक्सप्रेस के जमाने में इन दो राजधानी के मध्य मंद गति का रेल यातायात आमजन के हितों पर कुठाराघात है। मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच नया मार्ग बनने के बाद यात्रा का समय आधा रह जाएगा। लॉजिस्टिक लागत में भी कमी आएगी। 50 वर्ष से अधिक के लोगों विशेषकर महिलाओं को लम्बी सडक़ यातायात में असुवधिा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इससे हवाई जहाज के दबाव कम होगा। —————————-
राजस्थान समाज रेलवे संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रकाश मांडोत ने कहा कि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाकर मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच उच्च गति की सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलानी चाहिए। क्योंकि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु एक औद्योगिक कॉरीडोर, कृषि कॉरीडोर, ऑटोमाबाइल कॉरीडोर, फिनिश गुड्स (कपड़ा, फूड प्रोसेसिंग) कॉरीडोर के कारण प्रतिदिन वाहनों व रेल यातायात का दबाव रहता है। तीनों ही शहरों के बीच प्रतिदिन हजारों लोग हवाई जहाज, बस, कार व रेल से यात्रा करते हैं। दुख की बात यह है कि आज भी ट्रेन 24 से 25 घंटा लेती है। दो दशक से प्रकाश मांडोत ने कहा कि लगातार हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की मांग कर रहे हैं। केन्द्र सरकार को चाहिए कि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाकर लोगों को राहत दी जाए। हाल ये है कि रेल से यात्रा करने के लिए चार महीने पहले भी कन्फर्म टिकट नहीं मिलता है। मांडोत ने कहा कि रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड चेयरमैन सहित सभी से इस मुद्दे को लेकर मांग की जा रही है। —————————-
फैडरेशन ऑफ कर्नाटका चैम्बर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री (एफकेसीसीआई)के पूर्व अध्यक्ष रमेशचन्द्र लाहोटी ने कहा कि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच 14 लेन की सडक़ की जो घोषणा हुई वह स्वागत योग्य है। इसके पहले में रेलवे से मुंबई-पुणे-बेंगलूरु के बीच हाई स्पीड रेल कॉरीडोर बनाने की वर्षों पुरानी मांग को भी पूरा किया जाना चाहिए ताकि व्यापारियों, उद्यमियों के साथ आमजन को सुगम यातायात की सुविधा मिल सके। केन्द्र सरकार को चाहिए कि मुंबई-पुणे-बेंगलूरु की दूरी को भी रेल के जरिए 14 से 15 घंटे में तब्दील किया जाए। इसके लिए केन्द्र सरकार कारेल मंत्रालय इस पर विचार करे। यह रेल मार्ग मुम्बई व बेंगलूरु के बीच सेतु का काम करेगा। कारण कि मुम्बई में बंदरगाह होने के कारण वहां से कपड़ा, अनाज आ रहा है उसकी खरीदारी के लिए व्यापारी व उद्यमियों को लाभ होगा।

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