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बैंगलोर

बिहार-झारखंड के प्रवासियों की ढाल बने ‘सीमांत’

झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी जताया अभार

बैंगलोरMay 18, 2020 / 10:12 am

Rajeev Mishra

बिहार-झारखंड के प्रवासियों की ढाल बने 'सीमांत'

बिहार-झारखंड के प्रवासियों की ढाल बने ‘सीमांत’

बेंगलूरु.
कोरोना लॉकडाउन के चलते बेंगलूरु में आकर फंसे बिहार-झारखंड के श्रमिकों, छात्रों अथवा किसी अन्य वजह से आए लोगों के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) सीमांत कुमार सिंह उम्मीद की किरण बन गए हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उन्हें फोन कर झारखंड के लोगों के लिए किए गए उनके कार्यों को सराहा और अभार प्रकट किया।
‘पत्रिका’ से बात करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ‘लॉकडाउन के दौरान उत्तर भारत के हजारों मजदूरों को खाद्य सामग्री अथवा तैयार भोजन उपलब्ध कराना आसान था। लेकिन, लॉकडाउन में थोड़ी ढील मिलने के बाद प्रवासियों को लगता है कि मैं उन्हें उनके घर भेजवा दूंगा। लगातार लोग कॉल कर रहे हैं। उन्हें समझाया जा रहा है और एक-एक कर सहजता से उनके घर भेजा भी जा रहा है।’ दरअसल, एक तरफ घर वापसी के दौरान सड़क पर मजदूरों की बड़ी संख्या में हो रही मौत को लेकर चिंता जताई जा रही है वहीं, राज्य से ट्रेनों के जरिए मजदूरों को सहजता से वापस भेजा जा रहा है। सीमांत सिंह इसमें बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

सभी उतावले, पहले जाने को बेचैन
उन्होंने कहा कि बिहार मूल का होने और झारखंड में भी सेवाएं देने के कारण उन्हें हर जिले के बारे में जानकारी है। इसलिए मास्टर लिस्ट देखकर यह तय करना आसान होता है कि किसे किस ट्रेन में भेजना है। केवल श्रमिक ही नहीं, बल्कि छात्र, चिकित्सा के लिए आए अथवा पारिवारिक समारोह या व्यक्तिगत तौर पर मिलने आए लोग भी फंसे हुए हैं। इसलिए बिहार-झारखंड की ओर जाने वाली हर ट्रेनों में 80 से 85 फीसदी मजदूर और बाकी 10 से 15 फीसदी अन्य लोगों को भेजा जा रहा है। हर कोई उतावला है और पहले जाना चाहता है लेकिन समझाने पर लोग बात मान भी रहे हैं। यह काफी चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि वे मात्र एक कड़ी है। इस अभियान में बीबीएमपी, रेलवे, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग बीएमटीसी आदि भी जुड़े हैं।
दरअसल, बिहार-झारखंड के लोगों को लगता है कि सीमांत सिंह ही उनकी मदद कर सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर सड़क पर उतरने को उतावले हो रहे मजदूरों राहत सामग्री पहुंचाकर रोका। अब राज्य सरकार ने बिहार-झारखंड के प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के लिए उन्हें नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। हेमंत सोरेन ने सीमांत सिंह से कहा कि दोनों राज्यों की सरकारें एक-दूसरे के संपर्क में है। फिर भी अगर व्यक्तिगत तौर पर उन्हें कोई सुझाव देना हो या किसी तरह के सपोर्ट की जरूरत हो तो बताएं।

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