scriptसमूचा जगत कर्म प्रधान: आचार्य देवेन्द्र सागर | Entire world karma pradhan: Acharya Devendra Sagar | Patrika News
बैंगलोर

समूचा जगत कर्म प्रधान: आचार्य देवेन्द्र सागर

राजाजीनगर स्थित नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने प्रभु पाश्र्वनाथ का मंत्रोच्चार पूर्वक अभिषेक करवाया।

बैंगलोरMar 18, 2020 / 09:45 pm

Santosh kumar Pandey

समूचा जगत कर्म प्रधान: आचार्य देवेन्द्र सागर

समूचा जगत कर्म प्रधान: आचार्य देवेन्द्र सागर

बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थित नाकोड़ा पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने प्रभु पाश्र्वनाथ का मंत्रोच्चार पूर्वक अभिषेक करवाया।

धर्मसभा में आचार्य ने कहा कि सृष्टि में कर्म प्रधान है या भाग्य, यह जिज्ञासा प्राय: मानव में बनी रहती है, क्योंकि बहुधा शुभ कर्मकर्ता कष्ट सहते, दुखी और पाप कर्मरत जीव सुखी दिखाई पड़ते हैं। वास्तव में जगत कर्म प्रधान ही है और मानव तन कर्म से ही निर्मित है। कर्म के तीन स्तरों में संचित, प्रारब्ध और क्रियमाण हैं। असंख्य जन्मों में किए कर्म संचित के रूप में सदा जीव के साथ संलग्न रहते हैं और देहांतर पर सूक्ष्म शरीर के साथ संस्कार रूप में विराजमान रहते हैं।
कर्म सामान्यत: भोगने से ही कटते या क्षय होते हैं। किसी जन्म विशेष में संचित कर्म का जो अंश प्राणी भोगता है उसे प्रारब्ध या भाग्य कहते हैं तथा वर्तमान में किया जाने वाले कर्म क्रियमाण कहलाता है जो सामान्यतया संचित में जुड़ता है और उत्कट क्रियमाण तात्कालिक फलदायी भी होता है।
अंत में मुनि महापद्मसागर ने कहा कि मनुष्य के सारे सुख-दुख कर्म के कारण ही हैं। कर्मों का फल भोगे बिना जीव का छुटकारा नहीं हो सकता। इस प्रकार कर्म ही पुनर्जन्म का कारण है।

Hindi News / Bangalore / समूचा जगत कर्म प्रधान: आचार्य देवेन्द्र सागर

ट्रेंडिंग वीडियो