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एमयूडीए के कार्यालय पर ईडी की छापेमारी, राज्‍य में राजनीतिक तापमान बढ़ा

केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने सीआरपीएफ सुरक्षा दल के साथ मैसूर में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) कार्यालय, इसके तहसील कार्यालय और मामले में आरोपी देवराजू के बेंगलूरु में केंगेरी स्थित परिसरों पर छापेमारी की। मुख्यमंत्री या उनके परिवार के किसी परिसर की तलाशी नहीं ली गई।

बैंगलोरOct 18, 2024 / 11:32 pm

Sanjay Kumar Kareer

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बेंगलूरु. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या से जुड़े भूमि आवंटन में भ्रष्टाचार के मामले में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) के कार्यालय पर छापेमारी की, जिससे कांग्रेस शासित राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ गया। कांग्रेस ने कार्रवाई को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया, जबकि विपक्षी भाजपा और जद-एस ने छापेमारी का स्वागत किया।
केंद्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने सीआरपीएफ सुरक्षा दल के साथ मैसूर में मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) कार्यालय, इसके तहसील कार्यालय और मामले में आरोपी देवराजू के बेंगलूरु में केंगेरी स्थित परिसरों पर छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री या उनके परिवार के किसी परिसर की तलाशी नहीं ली गई।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने छापेमारी के दौरान देवराजू का बयान भी दर्ज किया, जिनसे सीएम के परिवार ने जमीनें खरीदी थीं। ईडी ने देर शाम तक कई दस्तावेजों की प्रतियां बनाईं, क्योंकि वह जब्त किए जाने वाले दस्तावेजों की पहचान करने की प्रक्रिया में था। एमयूडीए सचिव प्रसन्ना कुमार ने मैसूर में संवाददाताओं से कहा, ईडी की जांच टीम आ गई है, वे जो भी जानकारी मांगेंगे, हम उपलब्ध कराएंगे।
उन्होंने कहा, उन्होंने कहा है कि वे आज और कल यहां काम करेंगे। स्टाफ में से वे जिस किसी से भी मिलना चाहेंगे, हम उन्हें बुलाएंगे और उन्हें जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

ईडी ने 30 सितंबर को लोकायुक्त एफआईआर का संज्ञान लेते हुए सीएम और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दायर की। सीएम पर एमयूडीए द्वारा अपनी पत्नी बी एम पार्वती को 14 साइटों के आवंटन में अवैधानिकता के आरोप हैं।
उपमुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने कहा कि ईडी की कार्रवाई केवल जानकारी जुटाने, मामले से संबंधित दस्तावेज एकत्र करने और उनका सत्यापन करने की कवायद थी। शिवकुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ईडी जानकारी जुटा सकता है। आप इसे छापेमारी क्यों कह रहे हैं? वे दस्तावेज मांग रहे होंगे, जो मुहैया कराए जा सकते हैं। इसमें अन्याय कहां है? उनके भाई और पूर्व कांग्रेस सांसद डी के सुरेश ने इसे राजनीति से प्रेरित मामले के संबंध में “राजनीति से प्रेरित छापेमारी” करार दिया।
कर्नाटक में विपक्षी भाजपा और जेडी-एस ने ईडी की छापेमारी का स्वागत करते हुए दावा किया कि “घोटाले” का पर्दाफाश करना और सच्चाई को सामने लाना जरूरी था। दोनों दलों के नेताओं ने तर्क दिया कि राज्य सरकार के अधीन काम करने वाले लोकायुक्त पुलिस द्वारा मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। एमयूडीए मामले को सरकारी जमीन हड़पने का सबसे खराब घोटाला करार देते हुए केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा, देखते हैं ईडी जांच से क्या निकलता है।
सिद्धरामय्या, उनकी पत्नी, साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदी थी और उसे पार्वती को उपहार में दिया और अन्य को लोकायुक्त पुलिस द्वारा 27 सितंबर को दर्ज की गई एफआईआर में नामजद किया गया है। सीएम ने अपने या अपने परिवार द्वारा किसी भी तरह के गलत काम से इनकार करते हुए कहा कि विपक्ष उनसे डरा हुआ है और उन्होंने कहा कि यह उनके खिलाफ पहला ऐसा राजनीतिक मामला है।
इस बीच, राज्य के शहरी विकास मंत्री सुरेश बीएस (बैरती सुरेश) ने कहा कि एमयूडीए ईडी को मांगे गए सभी दस्तावेज मुहैया कराएगा। सुरेश ने कहा, जो भी दस्तावेज मांगे जाएंगे, एमयूडीए देगा। ईडी को ईसीआईआर (सीएम के खिलाफ) दर्ज होने के बाद छापेमारी का अधिकार है, वे जो भी दस्तावेज मांगेंगे, एमयूडीए देगा, इसमें हमारे शामिल होने का कोई सवाल ही नहीं है, अधिकारी दस्तावेज मुहैया कराएंगे। एमयूडीए उनके मंत्रालय के अधीन है।

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