बैठक में सभी सिविक फोरम ने एनजीटी समिति को जमीनी रिपोर्ट, प्रगति, लंबित और नए मुद्दों आदि से अवगत कराया। झीलों के बचाव के लिए जो काम चल रहे हैं उनके बारे में अद्यतन जानकारी भी समिति को दी गई। बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) ने सर्वे, बाड़बंदी, जल निकासी तंत्र, नाले तथा अनेकल पाइपलाइन से जोड़े जाने सहित अन्य मुद्दों पर रिपोर्ट पेश की।
बेंगलूरु जलापूर्ति एवं मल-जल निस्तारण बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना से जुड़ी प्रगति पर रिपोर्ट पेश की। मत्स्य पालन बोर्ड ने ठेके रद्द किए जाने के संबंध में जानकारी दी। बैठक में वर्षा जल को डायवर्ट करने का प्रस्ताव रखा गया। बारिश का पानी सीवेज के साथ मिलकर सीधे बेलंदूर झील में पहुंचता है जिससे झीलों को नुकसान तो पहुंचता ही है, दुर्गंध भी फैलती है।
समिति ने इसके लिए एक अलग अस्थायी चैनल के निर्माण की बात कही ताकि बारिश के पानी को निचले इलाकों की ओर बहाया जा सके। इससे बरसाती नालों से बारिश के पानी के साथ मल-जल झीलों में नहीं पहुंचेगा। समिति ने यह भी कहा कि निचलें इलाकों में पानी जाने से परेशानी होगी लेकिन झीलों की बेहतरी के लिए इस परेशानी को उठाया जाना चाहिए।
पहले से ही झीलों से उठती दुर्गंध को लोग बर्दाश्त कर रहे हैं। बैठक में तय हुआ कि बीडब्ल्यूएसएसबी का नया एसटीपी जुलाई 2020 तक ऑपरेशनल हो जाएगा। इसके अलावा अगरा झील के 35 एमएलडी एसटीपी ट्रीटेड पानी को आनेकल एमआई से जोडऩे का प्रस्ताव रखा गया। अतिक्रमण को हटाने के सख्त निर्देश दिए गए। बारिश का पानी किसी भी सूरत में सीधे झीलों में नहीं पहुंचना चाहिए।
एनजीटी की फटकार के बाद शहर की प्रदूषित झीलों के पुनरुद्धार के लिए पहल की गई है।
इसमें मुख्य रूप से मानसून की अवधि के दौरान झीलों में बरसाती पानी के साथ मल-जल निस्तारण रोकने पर चर्चा हुई। बैठक में टीवी रामचंद्र, यूवी सिंह, मुख्य सचिव महेंद्र जैन, बीडीए आयुक्त राकेशसिंह, सहित विभिन्न विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।