राज्यपाल गहलोत ने भारतीय इतिहास में शतरंज chess की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा, शतरंज दुनिया के लिए भारत के महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है, जो हमारी सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। यह खेल दिमाग को चुनौती देता है, निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है और रणनीतिक सोच को उत्तेजित करता है।उन्होंने प्रज्ञानंद, दिव्या देशमुख और डी. गुकेश जैसी उभरती प्रतिभाओं की सराहना की, जिन्होंने हाल ही में इतिहास में सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। सुब्बारमन विजयलक्ष्मी और कोनेरू हम्पी जैसी महिला खिलाड़ियों की उपलब्धियों को मान्यता देते हुए, उन्होंने शतरंज में भारतीय महिलाओं की बढ़ती प्रमुखता पर जोर दिया।
पूर्व क्रिकेटर रॉबिन उथप्पा, एसओजी फेडरेशन के संस्थापक नंदन कुमार झा, अध्यक्ष शंकर अग्रवाल और उपाध्यक्ष अशोक ध्यानचंद ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया।