सर्वेक्षण में कहा गया कि उन क्षेत्रों में सबसे धीमी यातायात रफ्तार है जहां मेट्रो या सड़क निर्माण परियोजाएं गतिमान हैं। शहर की कई प्रमुख शहरों पर मेट्रो का निर्माण जारी है। मुख्यत: होसूर रोड, वाइटफील्ड, केआर पुरम, बन्नेरघट्टा रोड, मैसूरु रोड, बीटीएम लेआउट रोड आदि पर चल रहे मेट्रो निर्माण के कारण वाहनों को काफी समय तक ट्रैफिक से जूझना पड़ता है। इसी प्रकार जिन रूटों पर सड़क पर वाइट टॉपिंग जैसे निर्माण हो रहे हैं, वहां भी वाहनों के आवागमन में परेशानी होती है।
बेंगलूरु यातायात पुलिस का मानना है कि नियमबद्ध यातायात से बेहतर ट्रैफिक प्रबंधन संभव है। इस वर्ष जब से यातायात नियम उल्लंघन के लिए जुर्माने की दर में बढोत्तरी हुई है तब से बड़ी संख्या में लोग नियमों का पालन करते दिखते हैं। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) बीआर रविकांत गौड़ा भी मानते हैं अगर यातायात नियमों का सही प्रकार से पालन हो कई रूटों पर ट्रैफिक जाम की समस्या से निपटारा मिल सकता है।
यातायात रफ्तार में आई तेजी के पीछे नम्मा मेट्रो का बड़ा योगदान माना जा रहा है। शहरी यातायात विशेषज्ञों के अनुसार पिछले दो वर्ष में बेंगलूरु में नम्मा मेट्रो फेज 1 के 42 किमी पर मेट्रो सेवाएं शुरू होने से रोजाना हजारों वाहनों का दबाव सड़क से कमा है। मेट्रो में हर दिन औसत चार लाख यात्री सफर करते हैं और इनमें बड़ी संख्या ऐसे यात्रियों की है जो अपना निजी वाहन छोड़कर मेट्रो से आना-जाना कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मेट्रो फेज 2 का काम तेजी से पूरा किया जाए तो आने वाले वर्षों में यातायात की रफ्तार में और तेजी आ सकती है। इसलिए मेट्रो और उपनगरीय रेल सेवाओं को पूरा करने पर ज्यादा जोर देने की जरुरत है।