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बैंगलोर

मैसूरु और बेंगलूरु सहित दक्षिण के दस प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्‍तर पर

इस रिपोर्ट में बेंगलूरु, मैसूर, हैदराबाद, चेन्नई, विशाखापट्टणम, कोच्चि, मेंगलुरु, अमरावती, विजयवाड़ा, विशाखापट्टणम और पुद्दूचेरी के वायु गुणवत्ता मानकों का विश्लेषण किया गया है।

बैंगलोरSep 06, 2024 / 07:43 pm

Sanjay Kumar Kareer

pollution-bengaluru

एआई द्वारा किया गया चित्रांकन

बेंगलूरु. वायु प्रदूषण अब केवल दिल्‍ली या उत्तर भारत तक सीमित नहीं रह गया बल्कि देश के दक्षिणी राज्‍यों में भी लगभग सभी बड़े शहरों की हवा खराब हो रही है। दुनिया भर में दशहरे के लिए विख्‍यात मैसूरु भी खराब वायु गुणवत्ता वाले दक्षिण के 10 प्रमुख शहरों में शामिल है। चिंता की बात है क्‍योंकि वार्षिक दशहरा महोत्‍सव एकदम नजदीक है।
ग्रीनपीस इंडिया की नवीनतम रिपोर्ट ‘स्पेयर द एयर-2’ के अनुसार दक्षिणी राज्‍यों के 10 प्रमुख शहरों में औसत पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍लूएचओ) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों से काफी अधिक पाया गया है। इस रिपोर्ट में बेंगलूरु, मैसूर, हैदराबाद, चेन्नई, विशाखापट्टणम, कोच्चि, मेंगलुरु, अमरावती, विजयवाड़ा, विशाखापट्टणम और पुद्दूचेरी के वायु गुणवत्ता मानकों का विश्लेषण किया गया है।
अध्ययन में पाया गया कि विशाखापट्टणम में पीएम 2.5 डब्‍लूएचओ दिशानिर्देशों से 10 गुणा और पीएम10, नौ गुणा अधिक है और एनएएक्यूएस सीमाओं को भी काफी हद तक पार कर गया है। डब्‍लूएचओ के दिशानिर्देशों की तुलना में, हैदराबाद, विजयवाड़ा, कोच्चि, मंगलुरु, अमरावती और चेन्नई में वार्षिक औसत पीएम 2.5 का स्तर 6 से 7 गुणा अधिक पाया गया है। इसके अलावा, पीएम10 के स्तर की तुलना डब्‍लूएचओ के दिशा-निर्देशों से करने पर पता चलता है कि बेंगलूरु, पुद्दुचेरी और मैसूरु का वार्षिक औसत इन दिशा-निर्देशों से 4 से 5 गुणा अधिक है।
रिपोर्ट की मुख्य शोधकर्ता आकांक्षा सिंह के मुताबिक सभी शहरों में पार्टिकुलेट मैटर का स्तर डब्‍लूएचओ के संशोधित दिशा-निर्देशों से कहीं ज्‍यादा हो चुका है। जबकि वर्तमान प्रयास उन शहरों पर केंद्रित हैं जो राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं, उन शहरों पर ध्‍यान देना भी महत्वपूर्ण है, जो वर्तमान में अनुपालन कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण केवल उत्तर तक सीमित नहीं

ग्रीनपीस इंडिया की सेलोमी के गार्नाइक के अनुसार भारत के दस दक्षिणी शहरों में पीएम10 और पीएम 2.5 के स्तरों के विश्लेषण से एक कठोर वास्तविकता सामने आती है; वायु प्रदूषण केवल उत्तरी क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं बल्कि यह पूरे देश को प्रभावित करने वाला एक गंभीर संकट है। दक्षिणी शहरों में इन प्रदूषकों का स्तर खतरनाक रूप से डब्‍लूएसओ के दिशा-निर्देशों को पार कर गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा हो रहे हैं।

विशिष्ट वायु गुणवत्ता मानक स्थापित करना महत्वपूर्ण

उन्होंने कहा, दक्षिणी शहरों की अलग-अलग प्रदूषण प्रोफाइल और जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए स्थानीय एयरशेड प्रबंधन के साथ संरेखित क्षेत्र-विशिष्ट वायु गुणवत्ता मानक स्थापित करना महत्वपूर्ण है। यह अनुकूलित दृष्टिकोण इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के प्रबंधन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अधिक प्रभावी उपाय सुनिश्चित करेगा।

दक्षिणी राज्यों में स्वच्छ हवा का मिथक टूटा

ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक अविनाश चंचल ने कहा, रिपोर्ट के निष्कर्ष दक्षिणी राज्यों में स्वच्छ हवा के मिथक को तोड़ते हैं। चिंताजनक बात यह है कि इन राज्यों में एक भी बड़ा शहर सुरक्षित और स्वस्थ हवा के लिए डब्‍लूएचओ के मानकों को पूरा नहीं करता है। यह रिपोर्ट दक्षिणी शहरों की सरकारों के लिए एक चेतावनी के रूप में काम करनी चाहिए।

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