दीक्षा कल्याणक मंदिर की ध्वजा के लाभार्थी चम्पालाल, सावलचंद बाफणा होंगे। जबकि केवलज्ञान कल्याणक मंदिर की ध्वजा के लाभार्थी हुलासीबाई, देवचंद वेदमूथा बिरूर होंंगे। २७ मार्च से ४ अप्र्रेल तक प्रतिदिन जय तलेटी से उल्लास व उमंग के माहौल में नव्वाणु यात्रा प्रारंभ होगी। प्रतिदिन विविध विशष्ट पूजन व प्रतिदिन आचार्य के प्रवचन होंगे। आचार्य ने बताया कि सिद्धाचल धाम में 15000 वर्ग फीट में नवनिर्मित दादा की टूक भारत की बेमिसाल शिल्प कला से सुशोभित है। यहां पिछले 8 वर्ष से 125 कारीगर शिल्प कला का कार्य कर रहे हैं। यह रणकपुर, आबू रोड और देलवाड़ा की शिल्प कला से कहीं अधिक आधुनिक है। आचार्य चन्द्रयश सूरीश्वर ने बताया कि 27 मार्च से 9 दिवसीय दक्षिण गिरिराज की 99 यात्रा की शुरुआत होगी और 4 अप्रेल को श्रषभ जन्म दीक्षा कल्याणक उत्सव व 99 यात्रा मालारोपण के साथ समापन होगा।