चंद्रमा से लाएंगे 2 से 3 किलो मिट्टी के नमूने
चंद्रयान-4 के होंगे 5 हिस्से, दो बार में मिशन होगा लांच, कई चरणों में पूरा होगा मिशन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-4 मिशन की रूपरेखा तैयार कर ली है। चंद्रयान-4 के 5 मॉड्यूल होंगे जिन्हें दो हिस्से में लांच किया जाएगा। दोनों मिशन इसरो अपने अत्याधुनिक प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 से लांच करेगा। इस मिशन को लांच करने के लिए दो एलवीएम-3 का प्रयोग होगा और मिशन पर कुल 2104.06 करोड़ रुपए की लागत आएगी।
इसरो ने कहा है कि, चंद्रयान-4 मिशन में कुल 5 मॉड्यूल होंगे। एसेंडर मॉड्यूल (एएम), डिसेंडर मॉड्यूल (डीएम), री-एंट्री मॉड्यूल (आरएम), ट्रांसफर मॉड्यूल (टीएम) और प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम)। इन्हें दो हिस्सों में बांटकर लांच किया जाएगा और दोनों हिस्से पृथ्वी की कक्षा में जुडक़र एकसाथ चंद्रमा की ओर रवाना होंगे। दोनों हिस्से एलवीएम-3 से लांच किए जाएंगे। डिसेंडर और एसेंडर मॉड्यूल एक हिस्से में होंगे बाकी तीन मॉड्यूल दूसरे हिस्से में होंगे।
ऐसे पूरा होगा चंद्रयान-4 मिशन:
- डिसेंडर और एसेंडर मॉड्यूल को एक हिस्से में जोडक़र एलवीएम-3 से लांच किया जाएगा और पृथ्वी की अंडाकार कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा।
दूसरी बार में, री-एंट्री मॉड्यूल, ट्रांसफर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल को एक साथ जोडक़र एलवीएम-3 से लांच किया जाएगा और पृथ्वी की अंडाकार कक्षा में स्थापित कर दिया जाएगा।
पृथ्वी की कक्षा में दोनों हिस्सों को जोड़ा जाएगा (डॉकिंग होगी)।
सभी पांचों मॉड्यूल के इंटीग्रेट होने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल के जरिए पृथ्वी की कक्षा में मैनुवर प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
मैनुवर प्रक्रिया पूरी होने के बाद पृथ्वी की कक्षा में ही प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएगा। - शेष चार मॉड्यूल (एएम, डीएम, आरएम, और टीएम) को एक साथ चंद्रमा के पथ पर भेजा जाएगा।
चंद्रमा की कक्षा में स्थापित होने के बाद चारों मॉड्यूल एक साथ मैनुवर प्रक्रिया से गुजरेंगे और चंद्रमा के लैंडिंग स्थल के सीध में पहुंचेंगे।
चंद्रमा की अंतिम कक्षा में पहुंचने के बाद डिसेंडर और एसेंडर मॉड्यूल अलग हो जाएंगे और चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए प्रस्थान करेंगे।
री-एंट्री मॉड्यूल और ट्रांसफर मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में ही परिक्रमा करेंगे।
चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद डिसेंडर मॉड्यूल के साथ भेजा गया रोबोटिक आर्म 2 से 3 किलोग्राम तक मिट्टी के नमूने इकट्ठा करेगा। ये नमूने एसेंडर मॉड्यूल के एक कंटेनर में रखे जाएंगे।
इसके अलावा एक ड्रिलिंग मशीन भी होगी जो लैंडिंग स्थल पर चंद्रमा के उप-सतह के नमूने इकट्ठा करेगी। उसे भी एसेंडर मॉड्यूल के कंटेनर में रखा जाएगा।
कंटेनर को लीकेज या संक्रमित होने से बचाने के लिए सील कर दिया जाएगा।
नमूने इकट्ठा करने के विभिन्न चरणों की निगरानी वीडियो कैमरे के जरिए की जाएगी।
नमूने इकट्ठा करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एसेंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से उड़ान भरेगा।
एसेंडर मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में पहुंचेगा और पहले से चक्कर लगा रहे री-एंट्री मॉड्यूल और ट्रांसफर मॉड्यूल के साथ जुड़ (डॉकिंग) जाएगा।
चंद्रमा की कक्षा में एसेंडर मॉड्यूल से कंटेनर री-एंट्री मॉड्यूल में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
नमूने ट्रांसफर करने के बाद एसेंडर मॉड्यूल अलग (अनडॉक) हो जाएगा।
अब, पृथ्वी की कक्षा में लौटने के लिए ट्रांसफर मॉड्यूल और री-एंट्री मॉड्यूल की चंद्रमा की कक्षा में मैनुवर प्रक्रिया शुरू होगी।
उपयुक्त स्थिति हासिल करने के बाद री-एंट्री मॉड्यूल ट्रांसफर मॉड्यूल से अलग होकर तीव्र गति से पृथ्वी की यात्रा शुरू करेगा।
री-एंट्री मॉड्यूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा और अंतत: चंद्रमा के नमूने के साथ धरती पर पहुंचेगा।
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