स्कंद पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष के यज्ञ कुण्ड में माता सती ने भगवान शिव के अपमान से आहत होकर प्रवेश कर अपने शरीर का त्याग कर दिया। यह समाचार सुनकर भगवान शिव यज्ञ स्थान पर पहुंचे। व्यथित शिव ने अपने कन्धे पर माता सती का शरीर रखकर इधर उधर घूमना शुरू कर दिया। इससे सृष्टि के संचालन में बाधा उत्पन्न होने लगी। देवताओं के आवाह्न पर भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर को काटकर गिराना शुरू किया। जिन 51 स्थानों पर सती के अंग गिरे वह सभी शक्तिपीठ कहलाए। देवीपाटन में सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा जिससे यह स्थल सिद्धपीठ देवीपाटन के रूप में विख्यात हुआ।
इसकी एक मान्यता यह भी है कि माता सीता ने इस स्थल पर पाताल प्रवेश किया था। इस कारण पहले यह पातालेश्वरी कहलाया और बाद में यह पाटेश्वरी हो गया लेकिन सती प्रकरण ही अधिक प्रमाणिक है और शक्ति के आराधना स्थल होने के कारण यह शक्तिपीठ प्रसिद्ध है। नाथ सम्प्रदाय की व्यवस्था में होने के कारण ही सती प्रकरण की पुष्टि होती है क्योंकि भगवान शंकर स्वरूप गोरखनाथ ने भव्य मंदिरों का निर्माण कराया। शारदीय नवरात्रि में भी यहां देश विदेश के भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है।
देवीपाटन की सुरक्षा काफी संवेदनशील
सिटी एसपी हेमंत कुटियाल ने पाटेश्वरी मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। नेपाल सीमा के नजदीक और चुनावी वर्ष होने के कारण शक्तिपीठ देवीपाटन की सुरक्षा काफी संवेदनशील हो जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही इस शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर भी है इसलिए इस मन्दिर की सुरक्षा और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। एसपी ने कहा कि श्रद्धालुओ को कोई असुविधा न हो और दर्शन के पश्चात श्रद्दालुओं की सकुशल वापसी हमारा दायित्व है। कोट-शक्तिपीठ देवीपाटन में वर्ष में कई बड़े कार्यक्रम होते है जिसमें लाखों लोगों की भीड उमड़ती है। उन्होंने कहा कि मन्दिर की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा मुख्यालय की सहायता से सुरक्षा संचालन सिद्धान्त (सेक्यूरिटी आपरेटिंग प्रिन्सपल्स) को संशोधित किया जा रहा है। एसपी ने कहा कि यहां की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा भी मिले और सुरक्षा भी।