आरती तिवारी को मिला टिकट दरअसल जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा से चार सदस्यों का नाम हाईकमान को भेजा गया था। इनमें रेनू सिंह, निर्मला यादव, आरती तिवारी और तारा दयाल यादव का नाम शामिल था। लेकिन बाकी नामों को दरकिनार करते हुए भादपा प्रदेश कार्यालय ने आरती तिवारी के नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है। पार्टी सूत्रों की आगर मानें तो आरती के युवा होने के चलते पार्टी ने उनपर विश्वास जताया है। वहीं दूसरी तरफ जिला पंचायत सदस्य वार्ड पिपरहवा विशुनपुर से विजयी हुई गैंसड़ी विधायक शैलेश सिंह शैलू की भाभी रेनू सिंह को भाजपा में घर वापसी रास नहीं आई। चुनाव लड़ने के लिए पहले उन्होंने पार्टी से बगावत कर डाली। फिर जीत मिलने के बाद पार्टी ने उनका निष्कासन रद करते हुए दोबारा शामिल कर लिया। इसके बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए उनकी प्रबल दावेदारी मानी जा रही थी। लेकिन आरती तिवारी का नाम घोषित होने के बाद उनके अरमानों पर पानी फिर गया।
चाचा की राह पर चलीं आरती अपने चाचा श्याम मनोहर तिवारी की प्रेरणा से आरती तिवारी ने राजनीति में अपनी शुरुआत की। आरती के चाचा श्याम मनोहर तिवारी बीजेपी के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। चाचा की प्रेरणा पाकर आरती ने जिला पंचायत चुनाव लड़ने का मन बनाया और भारतीय जनता पार्टी से अपनी उम्मीदवारी पेश की। जिसके बाद वे भारी मतों से जीतीं।
शुरू हुआ जोड़तोड़ आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने किरन यादव को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर रखा है। भाजपा और सपा का प्रत्याशी घोषित होने के बाद दोनों दलों के कद्दावर नेताओं ने जोड़तोड़ शुरू कर दी है। जबकि बसपा ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष पद महिला के लिए आरक्षित है। कुल 40 सीटों में से भाजपा के पास छह सदस्य हैं। सपा के पास 13 और बसपा के पास 10 जिला पंचायत सदस्य हैं। दोनों ही दलों के पास 21 का जादुई आंकड़ा नहीं है। ऐसे में 10 निर्दलीय सदस्य भी अध्यक्ष बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। 40 सीटों पर राजनीतिक दलों के समर्थित और निर्दलीय उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट है। अब जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने के लिए जोर आजमाइश अपने आखिरी दौर में हैं।