यही नहीं इस अस्पताल के सबसे ऊपर चौथे माले में फर्श पर ऐसे निशान भी मिले हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि यहां लड़के व लड़कियां भी सूनी जगह का लाभ उठाने आते हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि भवन के ऊपर वाले तल की ओर प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं। जबकि ऊपर माले के कमरों में कीमती सामान, यंत्र रखे हुए हैं। घटना की जानकारी के बाद से अस्पताल प्रबंधन के होश उड़ गए हैं। वे घटना पर किसी तरह की जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं, वे जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
प्रबंधन ने जानकारी दी कि अस्पताल से दर्जनभर आइना, तीन नग गीजर जो पानी ठंडा व गर्म करता है गायब है। तीन नग पंखे, अस्पताल के अंदर सीढिय़ों में लगे स्टील की रोलिंग के गोले चोरी हुए हंै। इन सभी की कीमत लगभग 70 हजार के करीब आंकी जा रही है। वहीं चिकित्सा के लिए लाए लाखों के अत्याधुनिक उपकरणों को भी तोड़ दिया है।
12 करोड़ की लागत से बने जच्चा-बच्चा अस्पताल चार मंजिला है। प्रथम तल से आना-जाना व दूसरे तल में जच्चा-बच्चा केंद्र है, जहां नवजात बच्चों का इलाज होता है, पर तीसरे व चौथे तल का अभी कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है। यहां कोई काम नहीं होता। इलाका सूना रहता है। इसी का लाभ उठाते हुए तीसरे व चौथे तल पर घटना को अजाम दिया है।
घटना की जानकारी स्टाफ नर्स को तब हुई जब चार लड़के ऊपर से दौड़ते हुए आए और भाग निकले। उसकी जानकारी नर्स ने जच्चा-बच्चा केंद्र के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीमाली को दी। उसके बाद सिविल सर्जन व उनकी टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया। उपर माले में पहुंचने पर जैसे ही सामानों की स्थिति देखी और चोरी की घटना का पता चला तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई। उसके बाद कार्रवाई कराने की बात कहते रह गए, पर थानेे में चोरी की घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई थी।
पत्रिका रिपोर्टर को जैसे ही इस मामले की सूचना मिली, तो पहले घटना की सच्चाई जानने अस्पताल पहुंचे और जहां चोरी हुई थी उस कमरे में जाकर जांच की। पता चला बिना सुरक्षा के सामान कमरे में रखे गए हैं। उसके बाद एसडीएम को इसकी सूचना दी। एसडीएम ने सिविल सर्जन को तत्काल मामले पर रिपोर्ट दर्ज करने कहा, उसेक बाद थाने में प्रबंधन ने मामले पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई।