1850 के दशक में सिपाहियों के लिए नई इनफील्ड राइफल लाई गई थी। इसमें लगने वाली कारतूसों को मुंह से काटकर राइफल में लोड करना होता था। बैरकपुर रेजीमेंट के सिपाहियों को पता चला कि इनमें लगने वाली कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी मिली होती थी। इसके बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों वर्ग के सिपाहियों ने नाराजगी जताई। 29 मार्च 1957 को मंगल पांडेय ने विद्रोह कर दिया, उस वक्त वह बंगाल के बैरकपुर छावनी में तैनात थे। उन्होंने न केवल कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया बल्कि साथी सिपाहियों को ‘मारो फिरंगी को’ नारा देते हुए विद्रोह के लिए प्रेरित किया। उसी दिन मंगल पांडे ने दो अंग्रेज अफसरों पर हमला कर दिया। बाद में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया गया और उन्होंने अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह की बात स्वीकार की। उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई और तारीख तय की गई 18 अप्रैल।
अमर शहीद मंगल पांडेय के बारे में खास बातें
– उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में 30 जनवरी 1831 को एक ब्राह्मण परिवार में मंगल पांडे का जन्म हुआ था
– कुछ इतिहासकार मंगल पांडेय का जन्म स्थान फैजाबाद के गांव सुरहुरपुर को बताते हैं
– 1849 में 22 साल की उम्र में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए थे
– भारत की आजादी का पहला श्रेय अमर शहीद मंगल पांडेय को जाता है
– अंग्रेजों के खिलाफ मंगल पांडे ने ही सबसे पहले देश की आजादी का बिगुल बजाया था
– 8 अप्रैल 1857 को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में फांसी दी गई थी।
– स्थानीय जल्लादों के इनकार के बाद अंग्रेजों को कलकत्ता से जल्लादों को बुलाना पड़ा था